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सर्वार्थ सिद्धि योग

sarvarth siddi yog

सर्वार्थ सिद्धि योग-

एक अत्यंत शुभ योग है जो निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है | यह योग एक बहुत ही शुभ समय है जोकि नक्षत्र तथा वार की स्थिति के आधार पर गणना किया जाता है । यह योग सभी इच्छाओं तथा मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कोई भी नया कार्य जोकि सर्वार्थ सिद्धि योग में प्रारम्भ किया जाता है वह निश्चित ही सफलतापूर्वक सम्पन्न होता है तथा इच्छित फल प्रदान करता है ।

यह योग विशेष वारों को पडऩे वाले विशेष नक्षत्रों के योग से निर्मित होता है । इस शुभ योग में शुभ कार्य आरम्भ किए जा सकते हैं परंतु कुछ कार्य वर्जित भी हैं ।

जैसे कि सर्वार्थ सिद्धि योग यदि गुरु-पुष्य योग से निर्मित होता है तो यह विवाह के लिए ठीक नहीं है ।

साथ ही यदि यह योग शनि रोहिणी योग से निर्मित होता है तो यह यात्राओं के लिए उपयुक्त नहीं है।

इसी तरह यदि यह योग मंगल-अश्विनी योग से निर्मित होता है तो यह गृह प्रवेश के लिए उपयुक्त नहीं है ।

यदि यह  योग शुक्ल पक्ष में बृहस्पतिवार या शुक्रवार को बनता है तो यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है।

इस योग में आप कोई भी नवीन कार्य आरम्भ कर सकते हैं ।

नक्षत्र तथा वार के संयोग जिनमें सर्वार्थ सिद्धि योग निर्मित होते है-

रविवार-अश्विनी, पुष्य, तीनों उत्तरा, हस्त और मूल नक्षत्र

सोमवार-रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, श्रवण नक्षत्र

मंगलवार-अश्विनी, कृतिका, अश्लेषा, उ. भद्रा नक्षत्र

बुधवार-कृतिका, राहिणी, मृगशिरा, हस्त, अनुराधा नक्षत्र

बृहस्पतिवार-अश्विनी,पुनर्वसु, पुष्य, अनुराधा, रेवती नक्षत्र

शुक्रवार-अश्विनी, पुनर्वसु, अनुराधा, श्रवण, रेवती नक्षत्र

शनिवार-रोहिणी,स्वाती,श्रवण नक्षत्र

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