शनि पुष्य
- 25 May 2012
रत्न क्या है ?
रत्न पृथ्वी के गर्भ से निकला एक अत्यंत अनमोल पत्थर होता है, जो किसी को भी अर्श से फर्श और फर्श से अर्श तक पहुचाने की कूबत रखता है |
रत्न काम कैसे करता है ?
रत्न खुद किसी visible प्रकाश अथवा ऊर्जा का श्रोत नहीं होता अपितु अपनी संरचना, बनावट, अपने रंग, स्वभाव के अनुसार विशेष प्रकार की ऊर्जा/कंपनशक्ति/चुम्बकीय शक्ति को खींचता है और और उसको अवशोषित (Absorb), परावर्तित (Reflect) अथवा प्रसारित (Transmit) करता है। रत्न की चमक इसकी सतह से परावर्तित प्रकाश की मात्रा (Quantity) और गुणवत्ता (Quality) के कारण होती है। रत्न का रंग इस बात पर निर्भर करता है की उनसे किस wavelength का प्रकाश अवशोषित तथा परावर्तित किया है। विज्ञानं इसको चयनात्मक अवशोषण (Selective Absorption) कहता है।
रत्न अगर किसी ऐसी चीज़ से स्पर्श करे जो उर्जा का चालाक हो तो उर्जा/कंपनशक्ति/चुम्बकीय शक्ति/प्रकाश प्रसारित कर देता है। यही कारण है की ज्योतिषी कहते हैं की रत्न ऊँगली/शरीर से स्पर्श होना चाहिए।
वैसे तो इस ब्रह्माण्ड की प्रत्येक वस्तु ऊर्जा को अवशोषित/परावर्तित करता है। परन्तु रत्न जिस विशेष प्रकार की ऊर्जा को खींचता है वो है ग्रहों की ऊर्जा, सूर्य के प्रकाश में निहित ग्रहों की विशेष रश्मियाँ, ग्रह की चुम्बकीय शक्ति, ग्रहों की विशेष कम्पन शक्ति।
ऊपर पढ़ कर तो अब आप ये तो समझ गए की रत्न ग्रह से सम्बंधित ऊर्जा को बड़ा देता है परन्तु खुद रत्न में इतना दिमाग नहीं है की वो ऊर्जा आपको सकारात्मक प्रभाव देगी या नकारात्मक।
अगर वो ग्रह आपकी कुंडली का अकारक/अनिष्ट ग्रह है तो नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जायेगी और आपको विपरीत परिणाम ही मिलेंगे। अथवा अगर आपके शरीर में पहले से ही अग्नितत्व की अधिकता के कारण कोई रोग है और आपने अग्नितत्व का ही रत्न पहन लिया तो रोग और ज्यादा बढ़ सकता है।
इस लिए रत्न का चयन करते समय अत्यंत सावधानी और सूक्ष्म गणना के बाद ही करना चाहिए |
यदि आप रत्न धारण करना चाहते है तो हमसे संपर्क करें हम बताएँगे कि आपको कौन से रत्न की आवश्यकता है |
रत्न परामर्श की दक्षिणा
भारत में रूपये 750 /-
विदेश में $ 21