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Laxmi pradata Ganpati Stotra

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ऋद्धि-सिद्धि के दाता श्री गणेश जी आठ वसु, ग्यारह रूद्र और बारह आदित्य के 'गण देवता' कहे गए है | ज्योतिष शास्त्र में अश्विनी आदि जन्म नक्षत्रों के अनुसार देव, मानव और राक्षस ये तीन गण हैं | इस प्रकार सब गणों के ईश देवता श्री गणेश ही हैं |

दीपावली पर श्री लक्ष्मी के साथ श्री गणेश की पूजा का विशेष विधान है | मनोकामना की पूर्ति के लिए यह पर्व सर्वश्रेष्ठ है | नीचे लक्ष्मी-प्रदाता-गणपति-स्तोत्र बताया जा रहा है, दीपावली के दिन से प्रारम्भ कर के इसका नियमित पथ करने से सभी कार्य निर्विघ्न पूर्ण होते हैं और श्री-समृद्धि और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है | दीपावली की रात इसको १०८ बार पाठ करने से यह पाठ सिद्धि हो जाता है और उसके बाद नियमित एक बार करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है तथा धन सम्बन्धी सभी प्रकार की समस्या का अंत होता है

लक्ष्मी-प्रदाता-गणपति-स्तोत्र

ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्याप्रदयिने। दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने ॥

लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपशोभितम् । अर्ध्चन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूहविनाशनम् ॥

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः। सर्वसिद्धिप्रदोऽसि त्वं सिद्धिबुद्धि प्रदो भव ॥

चिन्तितार्थप्रदस्त्वं  हि सततं मोदकप्रिय : । सिंदुरारूणवस्त्रैश्च   पूजितो वरदायकः ॥

इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद भक्तिमान नरः । तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुंचति ॥

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