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मंगला-गौरी व्रत नियम

mangla gauri

क्या होता है मंगला-गौरी?

श्रावण (सावन) मास में पड़ने वाले मंगल पर माता गौरी का उपासना पर्व है मंगला गौरी |

क्यों किया जाता है मंगला-गौरी-व्रत ?

इस दिन माता गौरी (पार्वती) का पूजन अर्चन और व्रत किया जाता है | धर्म-शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन माता मंगला गौरी का पूजन करके मंगला गौरी की कथा सुनना फलादायी होता है।

ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास में मंगलवार को आने वाले सभी व्रत-उपवास मनुष्य के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करते हैं।

अपने पति व संतान की लंबी उम्र एवं सुखी जीवन की कामना के लिए महिलाएं खास तौर पर इस व्रत को करती है। सौभाग्य से जुडे़ होने की वजह से नवविवाहित दुल्हनें भी आदरपूर्वक एवं आत्मीयता से इस व्रत को करती है। ज्योतिषीयों के अनुसार जिन युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कम‍ी‍ महसूस होती है अथवा शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हो, तो उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से फलदायी है। इस व्रत को करने से कुंडली में निर्मित मंगल दोष भी शांत होता है |

मंगला-गौरी व्रत नियम

इस व्रत को सोलह सोमवार व्रत के साथ करने से अत्यंत तीव्र लाभ मिलता है |

व्रत को कम से कम पांच वर्षों तक करना चाहिए, एक वर्ष में यह चार अथवा पांच ही पड़ता है | तत्पश्चात इस व्रत का विधि-विधान से उद्यापन कर देना चाहिए।

 इस व्रत के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें।

नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए।

 इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है।

 मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा के समक्ष व्रत का संकल्प लें |

- 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।

तत्पश्चात मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है।

फिर उस प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक (आटे से बनाया हुआ) जलाएं, दीपक ऐसा हो, जिसमें सोलह बत्तियां लगाई जा सकें।

तत्पश्चात - 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्..।। - यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन किया जाता है।

माता के पूजन के पश्चात उनको (सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग क‍ी सामग्री, 16 चुडि़यां तथा मिठाई चढ़ाई जाती है। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि होना चाहिए।

पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है

मंगला-गौरी-व्रत-कथा

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