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एक समय की बात है, एक लकड़हारा एक लकड़ी के व्यापारी के पास नौकरी के लिए गया | व्यापारी ने उसे नौकरी पर रख लिया, बहुत अच्छा वेतन और काम की परिस्थितियां भी बहुत ही उत्तम थी,  लकड़हारा बहुत खुश हुआ और उसने सोचा कि बहुत ही मेहनत से नौकरी करेगा |

व्यापारी ने लकड़हारे को एक कुल्हाड़ी दी और कहा कि जंगल जाकर पेड़ काट लाओ | उत्साह से भरा लकड़हारा जंगल में गया और पहले दिन बहुत ही मेहनत से 15 पेड़ काट लाया | व्यापारी ने उसे शाबासी दी |  अगले दिन लकड़हारे के लिए थोड़ा मुश्किल भरा रहा. वह 10 पेड़ ही काट पाया और तीसरे दिन फिर उसने मेहनत की पर मात्र 7 पेड़ ही काट पाया |

धीरे धीरे दिन प्रति दिन पेड़ों की संख्या कम होने लगी |  लकड़हारे ने सोचा कि उसकी ताकत कम होने लगी है और उसने व्यापारी के पास जाकर माफी माँगते हुए कहा कि पता नहीं उसे क्या हो गया है?

व्यापारी ने लकड़हारे की बात सुनाने के पश्चात पूछा कि उसने कुल्हाड़ी की धार कबसे तेज नहीं की है? लकड़हारे ने जवाब दिया कि वह तो पेड़ काटने में ही व्यस्त रहा और उसे कुल्हाड़ी की धार तो तेज करने का समय ही नहीं मिला |

यह बात हम सब पर भी लागू होती है. हम भी हमारे ज्ञान, कौशल आदि को अद्यतन (UPDATE ) नहीं करते हैं और सोचते हैं कि जो कुछ भी जानते हैं वह हमारे लिए काफी है |
परन्तु यह सही नहीं है जब सर्वोत्तम की आशा की जाती है. अपने ज्ञान, कौशल आदि को समय समय पर अद्यतन करते रहना चाहिए, यही सफलता की निशानी है |

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