Grah


हिंदू नव बर्ष २०६९


हिंदू नव वर्ष कब शुरू होता है ? आने वाला नया साल कौन सा है ? साल कि शुरुआत कैसे करनी चाहिए ? इसका महत्व क्या है ? इसे क्यों मनाया जाता है ?

हिंदू समाज वैसे तो पूरे विश्व का सबसे पुराना धर्मं है, परन्तु हिंदू समाज के बिखराव ने हिंदू समाज को संकुचित कर दिया है, हम अपने रीति-रिवाजों से किनारा कर के पाश्चात्य संस्कृति का अनुशरण करने वाले बनते जा रहे हैं | हम पूर्ण रूप से जाग्रत नहीं हो पा रहे है, जिसका प्रमुख कारण धर्म से हमारी विमुखता है | हम अपना नया साल ना मना कर पाश्चात्य संस्कृति का नया साल धूम-धाम से मानते है | इसका सबसे बड़ा कारण है कि अधिकांश हिंदू परिवारों को ये ही नहीं पता होता कि हिंदू नव वर्ष जिसको नव संवत भी बोला जाता है का प्राम्भ कब होता है ?

हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है, जो कि इस बार २३ मार्च २०१२ को पड़ेगी | आज से १ अरब ९७ करोड ३९ लाख ४९ हजार १०११ वर्ष पहले इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सृजन किया था |

“चैत्रे मासि जगद ब्रह्मा ससर्ज प्रथमे अहनि, 
शुक्ल पक्षे समग्रेतु तदा सूर्योदये सति:”

ब्रह्म पुराण में वर्णित इस श्लोक के मुताबिक चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन प्रथम सूर्योदय पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी | और फिर सम्राट विक्रमादित्य ने शको को पराजित करने की खुशी में ५७ ईसा पूर्व इसे विक्रमी संवत के रूप में स्थापित किया, जो कि संपूर्ण विश्व का प्रथम पञ्चांग (कलेंडर) था | विक्रम संवत का सम्बन्ध विश्व की प्रकृति, खगोल सिद्धांत और ब्रहमांड के ग्रहों एवं नक्षत्रों से है, इसलिए भारतीय काल गणना पंत निर्पेक्ष होने के साथ सृष्टि की रचना और राष्ट्र गौरवशाली पारम्पराओं को दर्शाती है, यही नहीं, ब्रहमांड के सबसे पुरातन ग्रन्थ वेदों में भी इसका विस्तृत विवरण* है |

• चैत्र के नवरात्रों का प्रारंभ भी इसी दिन होता है |
• शक्ति के पूजन के नौ दिनों बाद श्री राम का जन्मदिवस राम नवमी मनाई जाती है | हमारे नव वर्ष को नौ दिनों तक मनाया जाता है जिसका प्रारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी (रामनवमी) तक होता है |

१ जनवरी से प्रारंभ होने वाली काल गणना का कोई आधार नहीं है, इसका ग्रह और नक्षत्र कि निरंतर बदलती चाल से कोई वास्ता नहीं है | हमारी जागरूकता अभियान चलाने का मुख्य उद्देश अपने धर्म के प्रति युवाओं को आगे लाना है और उनको इस तथ्य की जानकारी देना है कि हमारे धर्म में बिना आधार के कोई भी कार्य नहीं होता है, यहाँ हर त्यौहार और हर दिन का महत्व है | आधारहीन महोत्सव मानाने के कारण हम भी आधार-हीन और उद्देश्यहीन होते जा रहे हैं | हमारी संस्कृति विश्व की श्रेष्ठतम संस्कृति है, हिंदू संस्कृति से दूर हो कर हम अपना नुकसान कर रहे है |

कैसे मनाये हिंदू नव वर्ष 

• सुबह जल्द से जल्द उठ कर स्नान करने के बाद अपने पारिवारिक नियम के अनुसार नवरात्री का घट स्थापना कीजिये, पूजन से पहले हाथ में गंध, अक्षत और पुष्प ले कर संकल्प कीजिये, जिसमे इस वर्ष को अपने लिए शुभता वाला बनाने के लिए ईश्वर से प्राथना कीजिये |

• घर को ध्वजा, पताका व तोरण से सजाइए, त्रिशूल की स्थापना भी इसी दिन की जा सकती है | अपने घरों को नौ दिनों के लिए सजाये | आज कल आने वाली बिजली वाली झालर से पूरे घर को सजाये, बड़ों से आशीर्वाद लें, और अधिक से अधिक लोगों को शुभ कामना दें |

• हमारा संस्थान आप हिंदू भाई बहनों से ये निवेदन करता है, अपने व अपने मित्रों के घरों को नौ दिनों तक ऐसा सजा दो कि पूरा विश्व हमारे नव वर्ष को पहचान ले, हिंदू धर्म को संकुचित होने से रोकना अब आप के हाथ में है.......
|
(जो अपने धर्म का नहीं किसी कर्म का नहीं)

*नव संवत्सर यानी संवत का वर्णन यजुर्वेद के २७ वें और ३० वें अध्याय के मंत्र क्रमांक ४५ और १५ ने विस्तार से दिया गया है | 

Comments (0)

Leave Reply

Testimonial



Flickr Photos

Send us a message


Sindhu - Copyright © 2024 Amit Behorey. All Rights Reserved. Website Designed & Developed By : Digiature Technology Pvt. Ltd.