ग्रहों का अद्भुत योग
- 27 May 2013
बुध का नाम
संस्कृत- सौम्य, शांत, अतिदीर्घ, इन्द्रसुत, चंद्रपुत्र, चांद्रि |
अंग्रेजी- Mercury (मर्करी)
उर्दू- उबारद, तीर |
वर्ण – हरा (दुर्बा समान )
अवस्था – बाल
लिंग – नपुंसक
जाति – शुद्र
स्वरुप – प्रसन्न (हास्य-व्यंग )
गुण – रज
तत्त्व- पृथ्वी
प्रकृति – सैम (वात,पित्त एवं कफ युक्त)
दिशा- उत्तर
धातु – स्वर्ण (मतान्तर से रौप्य, काँस्य )
रत्न – पन्ना (Emerald )
बुध को काल पुरुष की वाणी माना गया है, अतः यह वाणी, विद्या तथा बुद्धि का प्रतीक है | ग्रह मंडल में बुध को राजकुमार का दर्जा प्राप्त है |
आधिपत्य- बुध को हाथ, पांव, त्वचा, विद्या, बुद्धि, चातुर्य, वाणी, शिल्प, व्यवसाय तथा गणित का अधिपति माना गया है | बुध कूटनीतिज्ञ, तार्किक, महान प्रतिभाशाली, ज्योतिषी, लेखक, संपादक, प्रकाशक, युक्ति-कुशल, पंडित, वैज्ञानिक, गणितज्ञ, अध्यापक, चिकितसक, इंजीनियर, एकाउंटेंट, अभिनेता, खिलाडी, बुद्धिजीवी वर्ग का अधिपति है |
बुध से प्रभवित अंग-
यह मुख, नासिका, वाणी, स्नायु, जिव्हा, तालु, नाड़ी-कम्पन, रक्त हीनता आदि का प्रतिनिधित्व करता है | मनुष के शरीर में कंधे से लेकर ग्रीवा तक इसका अधिकार क्षेत्र है |
बुध के रोग-
वाचालता, आलस्य, श्वेत कोढ़, मति-भ्रम, वात-रोग, वायुविकार, संग्रहणी, दमा तथा जल्दी बूढ़ा होना आदि |
बुध को अशुभ या शुभ ग्रहों की श्रेणी में नहीं रखा जाता यह एक नपुंसक ग्रह है जो यदि शुभ के साथ रहता है तो शुभ फल और अशुभ ग्रहों की संगती में अशुभ फल देता है, यह सूर्य और चन्द्र की तरह हमेशा ‘ मार्गी ‘ नहीं रहता, अपितु समय समय पर मार्गी, वक्री तथा अस्त होता रहता है | इसकी स्व-राशियाँ मिथुन और कन्या हैं | यह कन्या राशि में उच्च का, मीन राशि में नीच का तथा कन्या राशि में 26 अंश (मतान्तर 21 .30 अंश) तक मूलत्रिकोणस्थ होता है | (कन्या राशि में 15 अंश तक परमोच्च और मीन में 15 अंश तक परम नीच का होता है |
मित्र और शत्रु
सूर्य, शुक्र, शनि, राहु-केतु बुध के नैसर्गिक मित्र हैं |
मंगल और गुरु से बुध समभाव रखता है |
चन्द्रमा से बुध शत्रु भाव रखता है | (जबकि बुध, चंद्रमा का ही पुत्र है )
यदि बुध अशुभ प्रभाव देता है तो जातक पर क्या होता है असर देखें विडिओ में
यदि बुध सही फल नहीं दे रहा तो देखें बुध के उपाय