Capricorn - मकर
- 29 October 2014
जब सूर्य धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस समय को मकर संक्रांति कहते हैं इस बार सूर्य की मकर संक्रांति 14 जनवरी की देर शाम 19:27 पर होगा (पंचांग की भिन्नता से समय कुछ अलग हो सकता है, परन्तु मुख्य बात यह है कि यह संक्रांति सूर्यास्त के बाद ही हो रही है )| अब प्रश्न ये उठता है की मकर संक्रांति कब मनाई जाये निर्णय सिंधु के अनुसार संक्रांति काल से पहले के 6 घंटे और बाद 12 घंटे पुण्यकाल के लिए वर्णित हैं। क्योंकि इस बार संक्रांति काल रात्रि में है, इसलिए 14 जनवरी का कोई महत्व नहीं रहेगा, विशेष पुण्य काल15 जनवरी को दोपहर 1:30 तक रहेगा एवं सामान्य पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा। उदय काल में संक्रांति का पुण्यकाल श्रेष्ठ माना गया है। इसी दिन दान-पुण्य का महत्व माना गया है। इसलिए 15 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
इस बार मकर संक्रांति हाथी पर सवार होकर, गोरोचन का लेप लगाकर लाल रंग के वस्त्र और बिल्व पुष्प की माला धारण कर आएगी। हाथ में धनुष लेकर लोहे के बर्तन में दुग्ध पान करती हुई बैठी हुई स्थिति में प्रौढ़ा अवस्था में रहेगी। अंकशास्त्र के अनुसार इस बार की मकर संक्रांति 15:15:15:15 के अनोखे संयोग के साथ आ रही है जो अत्यंत शुभ मानी जा रही है |
मकर संक्रांति की तारीख है 15-जनवरी-15
नक्षत्र है स्वाति जिसकी नक्षत्र संख्या है 15
तिथि (दशमी [10]) + वार (गुरुवार [5]) की संख्या का जोड़ = 15
सूर्य सिद्धान्त के अनुसार पृथ्वी की गति प्रतिवर्ष 50 विकला (5 विकला -2 मिनट) पीछे रह जाती है, वहीं सूर्य संक्रमण आगे बढ़ता जाता है। हालांकि अधिवर्ष (लीप ईयर) में ये दोनों वापस उसी स्थिति में आ जाते हैं।
इस बीच प्रत्येक चौथे वर्ष में सूर्य संक्रमण में 22 से 24 मिनट का अंतर आ जाता है।
यह अंतर बढ़ते-बढ़ते 70 से 80 वर्ष में एक दिन हो जाता है। इस कारण मकर संक्रांति का पावन पर्व वर्ष 2080 से लगातार 15 जनवरी को ही मनाया जाने लगेगा।
वर्ष 2016 में भी मकर संक्रांति 15 को ही मनाई जाएगी ।
फिर मकर संक्रांति मनाए जाने का ये क्रम हर दो वर्षों के अंतराल में बदलता रहेगा।
लीप ईयर वर्ष आने के कारण मकर संक्रांति वर्ष 2017 व 2018 में वापस 14 को ही मनाई जाएगी ।
वर्ष 19 व 20 को 15 को मकर संक्रांति पड़ेगी । ये क्रम 2030 तक चलेगा।
शताब्दी अनुसार मकर संक्रांति मनाए जाने का क्रम
16 व 17 वीं शताब्दी में 9 व 10 जनवरी
17 व 18वीं शताब्दी में 11 व 12 को
18 व 19वीं शताब्दी में 13 व 14 जनवरी को
19 व 20 वीं शताब्दी में 14 व 15 को
21 व 22वीं शताब्दी में 14, 15 और 16 जनवरी तक मनाई जाने लगेगी।