Shri Yantra Pratistha
- 05 October 2014
मकर संक्रांति के दिन प्रातःकाल उबटन आदि लगाकर तीर्थ के जल से मिश्रित जल से स्नान करें। यदि तीर्थ का जल उपलब्ध न हो तो दूध, दही से स्नान करें। तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है। भगवान भास्कर के दर्शन करके उन्हें अर्घ्य देना चाहिए। तांबे के लोटे में रक्त चंदन, लाल पुष्प आदि मिश्रित जल से पूर्व मुखी होकर तीन बार सूर्य को जल दें। पश्चात अपने स्थान पर ही खड़े होकर सात परिक्रमा करें। उसके बाद सूर्याष्टक, गायत्री मंत्र तथा आदित्य हृदय स्रोत का पाठ करें।
मकर संक्रांति के दिन तिल का विशेष महत्व है | तिल का उपयोग छ: प्रकार से करना चाहिए।
o जल में तिल डालकर स्नान
o तिल के तेल से शरीर पर मालिश करके स्नान
o हवन सामग्री में तिल का उपयोग
o तिलयुक्त जल का सेवन
o तिल व गुड़युक्त मिठाई व भोजन का सेवन
o तिल का दान
इन छः कार्य करने से शारीरिक, धार्मिक लाभ तथा पुण्य प्राप्त होते हैं।
मकर संक्रांति को व्रत भी रखते हैं | व्रत करने वालों को उपरोक्त सभी कार्यों के अतिरित्त पूजन में चंदन से अष्ठदल का कमल बनाकर उसमें सूर्यदेव का चित्र स्थापित करें। शाम को तिलयुक्त भोजन से अपना व्रत खोलें। यथाशक्ति अनुसार योग्य ब्राह्मण को दान दें। गाय को चारा खिलाएं | शरीर पर तिल के तेल की मालिश करें, तिल मिश्रित जल से महादेवजी का अभिषेक करें। गरीबों को यथाशक्ति वस्त्र दान करना श्रेष्ठ रहेगा।
अपने परिचितों, संबंधियों मित्रों आदि को उनकी पात्रता तथा अपनी क्षमता अनुसार तिल-गुड़ से बने खाद्य पदार्थ, खिचड़ी, वस्त्र, सुहाग सामग्री, मुद्रा आदि का दान करें।
मकर संक्रांति के दिन अधिक से अधिक समय धूप का सेवन करने का भी विधान है इसी कारण अलग अलग स्थान पर लोग आज के दिन दिनभर पतंगबाजी का भी आनंद लेते हैं |
क्या ना करें
पुण्यकाल में कठोर बोलना, झूठ बोलना, फसल तथा वृक्ष का काटना, गाय, भैंस का दूध निकालना व मैथुन कदापि नहीं करना चाहिए।
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