Taurus Wealth 2015
- 02 December 2014
श्रावण मास की हार्दिक शुभकामना ...
भोले का भक्त और आपका मित्र मैं अमित बहोरे आपको इस सावन शिव महिमा बताऊंगा
जिज्ञासा - क्यों है शिव को सावन (श्रावण) मास प्रिय ?
उत्तर - शिव के सावन मास प्रिय होने के पीछे अनेकों कारण हैं -
१.) समुद्र-मंथन के समय जब हालाहल नामक विष सागर से निकला था। उस समय सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने इस विष को अपने गले में धारण कर लिया। यह घटना सावन के महीने में ही हुई थी | विष के ताप को शांत करने के लिए ब्रह्मा जी के कहने पर देवताओं ने शिव जी का जलाभिषेक किया और जड़ी बूटियों का भोग लगाया। इससे शिव जी का ताप शांत हुआ, इसके बाद से ही भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाने लगा इस अद्भुत घटना के कारण शिव को सावन अति प्रिय है और सावन में जलाभिषेक का अद्भुत फल मिलता है |
२.) शास्त्रों के अनुसार सावन मास से ठीक पहले देवशयनी एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव बन जाते हैं। यही कारण है कि सावन में अन्य किसी भी देवता की पूजा से शिव की पूजा का कई गुणा फल प्राप्त होता है। इसलिए माना जाता है कि भगवान शिव को सावन सबसे अधिक प्रिय है।
३.) शास्त्रों और पुराणों के अनुसार भगवान शिव का सावन मास प्रिय होने का एक कारण यह भी है कि, माता सती के देहत्याग करने के बाद जब आदिशक्ति ने पार्वती के रुप में जन्म लिया तो इसी महीने में तपस्या करके भगवान शिव को पति रुप में पाने का वरदान प्राप्त किया। यानी भगवान शिव और पार्वती का मिलन इसी महीने में हुआ था। इसलिए यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।
४.) इसी पवित्र सावन मास में भगवान शिव ने माता पार्वती को सर्वप्रथम राम-कथा सुनाई थी, सुनने को श्रवण कहते हैं | इसी राम कथा के सुनने और सुनाने (श्रावण) की परिपाटी में इस पवित्र माह को "श्रावण" कहा गया है और विश्व भर के हिन्दू इस माह में सत्य नारायण की कथा और राम चरित मानस का पाठ करते हैं | इसी मास के तर्ज पर मुस्लिम रमजान मनाते हैं, पूरे विश्व में रमजान को "रामदान" अथवा "रमादान " के नाम से जानते हैं (इस बात को आप गूगल पर सर्च कर के देख सकते है ) केवल भारत में इसको रमजान कहा जाता है | शिव के सभी व्रत सूर्योदय से प्रारंभ हो कर सूर्यास्त तक होते हैं और रोजा भी इसी हिसाब से रखा जाता है | (इस विषय पर फिर कभी विस्तार से लेख लिखूंगा )