रूद्राष्ट्क (Rudrastak)
- 16 July 2014
यदि आप की जन्म कुण्डली में कोई ग्रह कमजोर हो तथा वह शुभ भाव का स्वामी हो तो उस ग्रह को बली बनाने हेतु ग्रह का सम्बन्धित रत्न धारण करना चाहिए।यदि आप की कुण्डली में सूर्य शुभ भाव का स्वामी होकर नीच या अस्तगत हो तो सूर्य को बली बनाने के लिए माणिक्य सोने की अंगूठी में रविपुष्य योग में धारण करना चाहिए ध्यान रहे की यह रत्न केवल अनामिका में ही धारण करना चाहिए। धारण करने से पूर्व रत्न को गंगाजल गोमूत्र या पंचामृत में डालकर पवित्र कर लेना चाहिए। प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर एक माला
ॐ घृणि सूर्याय नमः
मन्त्र का जप करें तथा सूर्य को अर्घ्य देकर रत्न को धारण कर लेना चाहिए। इसी प्रकार चन्द्र के लिए मोती रत्न चांदी की अंगूठी में शुक्ल पक्ष के सोमवार को संध्या के समय सबसे छोटी अंगुली में धारण करना चाहिए और एक माला
ॐ सों सोमाय नमः
मन्त्र धारण करना चाहिए। मंगल हेतु मूंगा रत्न सोने की अंगूठी में शुक्ल पक्ष के मंगलवार केा अनामिका में सूर्योदय के समय धारण करना चाहिए। एक माला
ॐ अं अगारकाय नमः
मंत्र का जप करें। बुध हेतु पन्ना सोने की अंगुठी में शुक्ल पक्ष के बुधवार के दिन प्रातःकाल कनिष्ठिका में धारण करना चाहिए। एक माला
ॐ बुं बुधाय नमः
मंत्र का जप करें । बृहस्पति हेतु पुखराज सोने की अंगुठी में गुरूपुष्य योग में सूर्यास्त से पहले तर्जनी अंगुली में धारण करें, तथा एक माला
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
शुक्र हेतु कम सें कम दों कैरेट का हीरा शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन चांदी के अंगूठी में अनामिका में धारण करें। एक माला
ॐ शुं शुक्राय नमः
मंत्र का जप करें। शनि के लिए नीलम पंचधातु की अंगुठी में शुक्ल पक्ष के शनिवार को सूर्यास्त से पहले मध्यमा अंगुली में धारण करें । एक माला
ॐ शं शनैश्वराय नमः
मंत्र का जप करें। राहु के लिए गोमेद पंचधातु की अंगुठी में शुक्ल पक्ष के शनिवार या बुधवार को सांयकाल में धारण करें। एक माला
ॐ रां राहवे नमः
मंत्र का जप करें। केतु के लिए लहसुनिया पंचधातु की अंगुठी में शुक्ल पक्ष के गुरूवार को सूर्योदय से पूर्व धारण करें। एक माला
ॐ कें केतवे नमः
मंत्र का जप करें ।