दीपावली पूजन की तैयारी
- 21 October 2018
एक तिथि में दो करण होते हैं- एक पूर्वार्ध में तथा एक उत्तरार्ध में। कुल 11 करण होते हैं
01. किंस्तुघ्न 02. बव 03. बालव 04. कौलव 05. तैतिल 06. गर 07. वणिज 08. विष्टि 09. शकुनि 10. चतुष्पाद 11. नाग
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (14) के उत्तरार्ध में शकुनि, अमावस्या के पूर्वार्ध में चतुष्पाद, अमावस्या के उत्तरार्ध में नाग और शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पूर्वार्ध में किस्तुघ्न करण होता है। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं। भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।