Guru Remedy
- 30 May 2014
आदिलक्ष्मी
सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये ।। मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि, मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ।। पङ्कजवासिनि देवसुपूजित, सद्गुणवर्षिणि शान्तियुते ।। जयजय हे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। १ ।।
धान्यलक्ष्मी
अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि, वैदिकरूपिणि वेदमये ।। क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।। मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते ।। जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। २ ।।
धैर्यलक्ष्मी
जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये ।। सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद, ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ।। भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधुजनाश्रित पादयुते ।। जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धैर्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ३ ।।
गजलक्ष्मी
जयजय दुर्गतिनाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये ।। रथगज तुरगपदादि समावृत, परिजनमण्डित लोकनुते ।। हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, तापनिवारिणि पादयुते ।। जयजय हे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ।। ४ ।।
सन्तानलक्ष्मी
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये ।। गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते ।। सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानववन्दित पादयुते ।। जयजय हे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मि त्वं पालय माम् ।। ५ ।।
विजयलक्ष्मी
जय कमलासनि सद्गतिदायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये ।। अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर-भूषित वासित वाद्यनुते ।। कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्कर देशिक मान्य पदे ।। जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ६ ।।
विद्यालक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये ।। मणिमयभूषित कर्णविभूषण, शान्तिसमावृत हास्यमुखे ।। नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते ।। जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ७ ।।
धनलक्ष्मी
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि धिंधिमि, दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये ।। घुमघुम घुंघुम घुंघुम घुंघुम, शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ।। वेदपुराणेतिहास सुपूजित, वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते ।। जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ।। ८ ।।