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बिल्वाष्टक

bel-patra
भगवान शिव को जो पत्र पुष्प प्रिय हैं उनमे बिल्वपत्र प्रमुख है । एक अखंडित बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढाने से तीन जन्मों के पापों का शमन हो जाता है |  बिल्वपत्र को शिव पर अर्पित करने से धन -संपदा ,ऐश्वर्य प्राप्त होता है । लिंग पुराणानुसार 'बिल्वपत्रे स्थिता लक्ष्मी देवी लक्षण संयुक्ता 'अर्थात बिल्वपत्र में लक्ष्मी का वास माना जाता है । बिल्व वृक्ष को श्री वृक्ष माना जाता है । ऋग्वेदोक्त श्री सूक्त के अनुसार माँ लक्ष्मी  के तपोबल से बिल्वपत्र उत्पन्न हुआ ,जो दरिद्रता को दूर करने वाला है । यह न केवल बाहरी बल्कि भीतरी दरिद्रता को भी दूर करने में समर्थ है ।
बिल्वपत्र का प्रचलित नाम बेलपत्र भी है |
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्।
त्रिजन्मपापसंहार बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥१॥
●त्रिशाखैर्बिल्वपत्रैश्च ह्यच्छिद्रै: कोमलै: शुभै:।
शिवपूजां करिष्यामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥२॥
●अखण्डबिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे ।
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥३॥
●शालग्रामशिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत् ।
सोमयज्ञ महापुण्यं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥४॥
●दन्तिकोटिसहस्राणि वाजपेयशतानि च ।
कोटिकन्यामहादानं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥५॥
●लक्ष्म्या: स्तनत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्।
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥६॥
●दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम् ।
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥७॥
●मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे ।
अग्रत: शिवरूपाय बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥८॥
●बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ ।
सर्वपापविनिर्मुक्त: शिवलोकमवाप्नुयात् ॥९॥

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