Laxmi pradata Ganpati Stotra
- 11 October 2014
दशोपचार पूजन
दशोपचार पूजन में निम्न दस तरीके द्वारा विधिपूर्वक पूजन ही पंचोपचार पूजन है |
पाद्य- पाद्यं, अर्घ्य दोनों ही सम्मान सूचक है। ऐसा भाव करना है कि भगवान के प्रकट होने पर उनके हाथ पावं धुलाकर आचमन कराकर स्नान कराते हैं |
अर्घ्य- अर्घ्य के विषय में पाद्य में बता दिया गया है |
आचमन- आचमन यानी मन, कर्म और वचन से शुद्धि आचमन का अर्थ है अंजलि मे जल लेकर पीना, यह शुद्धि के लिए किया जाता है। आचमन तीन बार किया जाता है। इससे मन की शुद्धि होती है।
स्नान- ईश्वर को शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है | एक तरह से यह ईश्वर का स्वागत सत्कार होता है |
वस्त्र- ईश्वर को स्नान के बाद वस्त्र चढ़ाये जाते हैं, ऐसा भाव रखा जाता है कि हम ईश्वर को अपने हाथों से वस्त्र अर्पण कर रहे हैं या पहना रहे है, यह ईश्वर की सेवा है |
गंधाक्षत - रोली, हल्दी, चन्दन, अबीर,गुलाल,अक्षत (अखंडित चावल )
पुष्प - फूल माला (जिस ईश्वर का पूजन हो रहा है उसके पसंद के फूल और उसकी माला )
धूप - धूपबत्ती
दीप - दीपक (शुद्ध घी का इस्तेमाल करें )
नैवेद्य - मिष्ठान भोग के लिए
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