विष्णु सहस्त्रनाम
- 03 November 2014
भगवान शिव का हनुमान अवतार सभी अवतारों में श्रेष्ठ माना गया है।
अष्ट-सिद्धियों और नौ-निधियों के स्वामी हैं हुनमान जी |
इस अवतार में भगवान शंकर ने एक वानर का रूप धरा था। शिवमहापुराण के अनुसार देवताओं और दानवों को अमृत बांटते हुए विष्णुजी के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर वीर्यपात कर दिया। सप्तऋषियों ने उस वीर्य को कुछ पत्तों में संग्रहीत कर लिया। समय आने पर सप्तऋषियों ने भगवान शिव के वीर्य को वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से गर्भ में स्थापित कर दिया, जिससे अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्री हनुमानजी उत्पन्न हुए। हनुमान जी ने ही संजीवनी बूटी ला कर श्रीराम के अनुज श्री लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की | हनुमान जी को ही श्रीराम के सेवक के रूप में पूजा जाता है | यही संकटमोचन हैं और यही परम बलशाली बजरंगबली हैं |