North
- 08 May 2012
अभी कुछ दिन पहले नेपाल में भूकंप आया और उसमें हजारों लोगों की जिंदगी को समाप्त कर गया साथ ही कभी ना भर पाने वाले जख्म दे गया | ज्योतिषी होने के नाते सभी जानने और मानने वाले तब से निरंतर एक ही सवाल कर रहे हैं कि
यदि ईश्वर हैं तो इतने लोग कैसे मर गए ?
ईश्वर ने अपने घर को बचा लिया और लोगों के घरों को उजाड़ दिया !
अब क्या होगा ?
आने वाले समय में क्या फिर भूकंप आएगा ?
आइये ज्योतिष के माध्यम से जानकारी करते हैं, 21 मार्च 2015 से प्रारंभ हुआ नया संवत जिसका राजा शनि है और मंत्री मंगल है और इन दोनों की परस्पर शत्रुता है, जिस कारण जन-मानस परेशान होगा और इसी समय अगर देखा जाए तो शनि देव 2 नवम्बर 2014 को मंगल की राशि में विराजमान हो गए हैं तो विध्वंश की शुरुआत हो उसी दिन से हो चुकी है, इन सब में एक अच्छा योग चल रहा था जो की गुरु अपनी उच्च की राशि में विराजमान हो कर शनि पर दृष्टि डाले हुए थे वो भी 14 जुलाई 2015 को सूर्य की राशि सिंह में चले जायेंगे | अगर सरल भाषा में समझा जाये तो यह समय जो भी दुर्योग बन रहे हैं उन सभी के कारण उत्पात, विनाश के कई मंजर दिखेंगे |
2015 और 2016 प्रकृति के बैलेंस बनाने का समय होगा, मनुष्य की आबादी बहुत बढ़ गयी है और वह प्रकृति के हर काम में टांग अड़ाने लगा है | तो इन दो वर्षों में प्रकृति मनुष की आबादी को कम करके इसको बैलेंस करने का काम करेगी | इन दो वर्षों में कई भूकंप-सुनामी-ज्वालामुखी का फटना-भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ साथ, कई देशों का युद्ध, धार्मिक उन्माद, आतंकवादी घटनाएं बहुतायत में होंगी जिससे मनुष्य की आबादी में बड़ी कमी आएगी | यह विनाश इतना बड़ा होगा जिसको शब्दों में व्यक्त कर पाना कठिन है |
हर विनाश के बाद एक सृजन होता है तो 2017 के बाद भारतीय संस्कृति अपने सर्वोच्च शिखर की ओर जाती दिखाई देगी और 2019 तक भारत ही विश्व का सिरमौर होगा | भारत ही विश्वशक्ति होगा, भारत ही संपूर्ण विश्व को मानवता का ज्ञान देगा | क्योंकि भारतीय संस्कृति ही प्रकृति से बैलेंस बनाना सिखाती है | भारतीय संस्कृति ही मानवता की संस्कृति है | भारतीय संस्कृति में ही पशु, पक्षी, नदी, पेड़-पौधे और पहाड़ों का सम्मान सिखाया जाता है, क्योंकि भारतीय ऋषि-मुनियों ने गहरे शोध के बाद ही इस प्रकार की संस्कृति की रचना की थी जिस से प्रकृति और मनुष्य एक दुसरे के साथ मिल जुल कर रहें, पर मनुष्य ने मानवता की इस संस्कृति को पिछड़ा कह कर त्याग दिया और अपने को आधुनिक बताने के लिए प्रकृति का शोषण किया अब प्रकृति की बारी है |
नोट: अधिकतर बड़ी त्रासदी का दिन मंगलवार अथवा शनिवार होगा |
|| ईश्वर हम सब की रक्षा करे ||