Jivan ka Satya
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चार प्रश्न और उत्तर
एक बार राजा ने अपने मंत्री से चार प्रश्नों के उत्तर मांगे। प्रश्न इस प्रकार थे :-
1} ऐसा व्यक्ति जिसे यहाँ तो सुख है पर वहाँ नहीं।
2} ऐसा व्यक्ति जिसे यहाँ तो सुख नहीं है पर वहाँ है।
3} ऐसा व्यक्ति जिसे यहाँ भी सुख नहीं है और वहाँ भी नहीं।
4} ऐसा व्यक्ति जिसे यहाँ भी सुख है और वहाँ भी है।
प्रश्न सुनकर मंत्री ने चौबीस घंटे का समय माँगा और रात भर कि सवारी के लिए सारथी समेत रथ देने कि प्रार्थना कि।
राजा ने प्रार्थना स्वीकार करते हुए सारथी को आज्ञा दी - "रथ तैयार करके इन्हे रात भर घुमा लाओ।"
मंत्री रथ पर सवार होकर निकल पड़ा और अगले दिन नियत समय पर रथ दरबार में पहुँच गया। मंत्री रथ में चार व्यक्तियों को बिठाकर लाया था। उनको क्रमशः राजा के समक्ष प्रस्तुत किया।
उन चारों में एक वेश्या थी। उसे खड़ी हो जाने का संकेत करके
मंत्री ने कहा - "राजन ! यह एक वेश्या है। यहाँ तो व्यभिचार द्वारा धन कमाकर सुख भोग रही है पर परलोक में इसे स्वर्ग का सुख नहीं मिलेगा।"
इसके बाद एक नंगे साधू कि ओर संकेत करके कहा - " यह एक अति दीन साधू है। यहाँ इसे कोई सुख नहीं है। आभाव का जीवन जी रहा है पर हर समय परमेश्वर का नाम रटता रहता है। इसलिए इसके लिए परलोक में सुख सुरक्षित है।"
तीसरा व्यक्ति एक चोर था उसकी ओर संकेत करते हुए मंत्री ने कहा - "यह एक चोर है पर चोरी का माल रोज नहीं मिलता। समाज भी इसे ईर्ष्या कि द्रष्टि से देखता है अतः यह न तो यहाँ सुखी है और बुरा काम करने के कारण परलोक में कोई सुख प्राप्त नहीं होगा।
चौथे व्यक्ति कि ओर संकेत करते हुए मंत्री ने कहा - "महाराज! यह एक संपन्न सेठ है। जरुरतमंदों कि मदद करता है , पूजा पाठ में मन लगता है और दान पुण्य करता रहता है। अतः इसे यहाँ भी सुख प्राप्त है और परलोक में भी अपने अच्छे कामों के कारण स्वर्ग का सुख भोगने कि व्यवस्था कर ली है।"
राजा ने मंत्री से अपने चारों प्रश्नो के उत्तर ध्यानपूर्वक सुने। उन उत्तरों से वह संतुष्ट हो गया और मंत्री कि बुध्दि कि प्रशंसा करते हुए उसका सम्मान भी किया।