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- 08 May 2012
महागौरी
मनपसंद जीवनसाथी एवं शीघ्र विवाह के लिए माता महागौरी की आराधना की जाती है | नवरात्री के आठवें दिन माँ दुर्गा के आठवें स्वरुप "महागौरी" के पूजन-अर्चन किया जाता है | माता की आराधना से शक्ति की प्राप्ति होती है |
माता का स्वरुप दिव्य है | माता गौर-वर्ण(अत्यंत गोरी) की हैं और श्वेत वस्त्र धारण करने वाली हैं, माता की चार भुजाएँ हैं | आपका वाहन वृषभ है, आपकी अवस्था आठ वर्ष मानी जाती है ! आपकी दाहिनी ओर की भुजाओं में वर मुद्रा व् त्रिशूल हैं तथा बायीं भुजाओं में डमरू व अभय मुद्रा शुशोभित हैं | माता ने शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए अत्यंत कठोर तपस्या की थी | माता शक्ति पुंज है | महागौरी की निष्ठा पूर्ण आराधना करने से उपासक के समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं | कुंवारी कन्याओं की उपासना से माता शीघ्र प्रसन्न होती है |
हाथ में पुष्प ले कर माता का ध्यान करें
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |
महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददा ||
मंत्र समाप्त कर माता के चरणो में पुष्पांजलि करें | इसके बाद माँ का पंचोपचार पूजन कर प्रसाद चढ़ाएं | स्मरण रहे प्रसाद दूध का बना हो | तत्पश्चात माता के निम्न मंत्र से हो सके तो २१ माला नहीं तो कम से कम १०८ बार जप करें |
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ महागौरी देव्यै नमः"
अपनी मनोकामना व्यक्त करें और आरती संपन्न करें |