Aries Love & Relationship 2015
- 02 December 2014
मौनी अमावस
वैसे तो अमावस प्रत्येक मास ही आती है पर माघ में पड़ने वाली अमावस को मौनी अमावस कहते हैं | इस दिन मौन रहकर गंगा स्नान का विधान है | त्रिवेणी स्नान का तो बहुत ही महात्म्य है | इस दिन जमीन पर शयन करना चाहिए, तेल नहीं लगाना चाहिए, किसी भी प्रकार का बनाव-श्रृंगार नहीं करना चाहिए और हर तरह का संयम बरतना चाहिए अश्वत्थ वृक्ष की छाया में भगवन विष्णु की आराधना कर के 108 परिक्रमा करने से मनोवांछित शुभ फल की प्राप्ति होती है |
इस बार की मौनी अमावस 27-जनवरी-2017 को पड़ेगी |
मौनी अमावस का महत्त्व
यह पर्व मानसिक तप तक पर्व है | भगवान श्री कृष्ण ने इस श्लोक में इन्हीं बातों की चर्चा करके मानव को सही मार्ग दर्शाया है -
मनः प्रसादः सौम्यत्वं मौनमात्सविनिग्रहः | भाव संशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते ||
मन की प्रसन्नता, सौम्यता का भाव, मनन शीलता, मन का निग्रह और भावों की भली भाँति शुद्धि, यही मन का तप कहलाता है। ऐसे तपों का मानव जीवन में विशेष महत्ता है और आज के दौर में यह पर्व मानना अत्यंत आवशयक हो चला है क्योंकि मानव दिलो-दिमाग से अत्यंत पीड़ित हो चला है | आज का मनुष्य विचार शून्य होता जा रहा है उसका मिथ्याचरण उसको बेईमानी के गर्त में धकेल रहा है | दूसरों के भेद में उसको रस मिलने लगा है, दूसरों की बुराई, दूसरों के कामों में टाँग अड़ाना, दूसरों की चुगली, अपने को बड़ा मानना बड़ा आम हो गया है | इस पर्व पर मौन रह कर सब कुछ भुला कर शांति से ईश्वर की भक्ति करें, मौन का अर्थ केवल मुख से कुछ ना बोलना ही नहीं अपितु आत्मा से शुद्ध होना अर्थात वाणी, सोच और व्यवहार से मौन रह कर एकाग्रचित हो कर ईश्वर उपासना करना ही मौनी अमावस है |