महादेव तुम औघड़दानी
- 29 July 2016
शिव का अर्थ है कल्याण, शिव सबका कल्याण करने वाले हैं |
श्रावण (सावन) है शिव का प्रिय मास
महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है | शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है |
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश नामक त्रिदेव हैं, इनमें से महेश को ही भगवान शिव के नाम से जाना जाता है |
भगवान शिव को यूं तो प्रलय का देवता और काफी गुस्से वाला देव माना जाता है उनका तीसरा नेत्र संहार का प्रतीक है परन्तु वहीँ दूसरी तरफ शिव को भोले नाथ भी कहते हैं, वह थोड़ी सी भक्ति से भी बहुत प्रसन्न हो जाते हैं और यही वजह है कि शिव सुर, असुर, देव, गन्धर्व और मानव सभी के लिए समान रूप से पूज्यनीय हैं.|
शिव स्वरुप
शिव को देवों का देव महादेव भी कहते हैं | महादेव प्रेतों व पिशाचों से घिरे रहते हैं। उनका रूप बड़ा अजीब है, शरीर पर मसानों की भस्म, गले में सर्पों का हार, कंठ में विष, जटाओं में जगत-तारिणी पावन गंगा तथा चन्द्रमा को धारण किये हुए । बैल को वाहन के रूप में स्वीकार करने वाले शिव देखने में क्रूर रूप होने पर भी भक्तों के लिए अत्यंत सौम्य रहते हैं और श्री-संपत्ति समेत समस्त उत्तम फल प्रदान करते हैं।
शिव परिवार
शिव की पहली पत्नी का नाम सती था जो दक्ष प्रजापति कि पुत्री थी उन्होंने अपने पति के अपमान होने पर यज्ञाग्नि में अपने को भस्म कर लिया था | सती का पुनर्जन्म हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में हुआ जिनसे पुनः शिव जी का विवाह हुआ | शिव-पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र का नाम कार्तिकेय है जो की देवताओं के सेनापति हैं और शिव-पार्वती के दूसरे पुत्र को हम प्रथम पूज्य गणेश जी के नाम से जानते हैं | इसके अतिरिक्त शिव-पार्वती को एक पुत्री भी हुई जिसका नाम अशोक सुंदरी था और उनका विवाह महराजा नहुष के साथ संपन्न हुआ | शिव के वाहन बैल का नाम नंदी है और नंदी भी शिव-परिवार का एक प्रमुख अंग हैं |
अब एक प्रश्न जो अक्क्सर लोग करते है कि यदि शिव विनाशकारी है, संहार करना उनका काम है तब हम शिव की उपासना क्यों करें ?
इसका सीधा सा जवाब है शिव देव नहीं आदि देव हैं उनसे ही संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति हुई सभी देवों की उत्पत्ति हुई है और जब-जब सृष्टि पर विनाशलीला हुई है तब-तब भगवान शिव ने अपने तेज से इसे बचाया है, समुद्र मंथन के समय निकले अमृत को ग्रहण करने लिए तो सभी देवताओं में होड़ लगी थी लेकिन जब समुद्र मंथन से विष बाहर आया तब भगवान शिव ही वह देवता थे जिन्होंने विष को ग्रहण कर सृष्टि को हलाहल से बचाया था और सभी देवताओं के पूजन के बड़े बड़े विधान है और वह ना-ना प्रकार के भोग चढाने से प्रसन्न होते हैं वहीँ भगवान शिव की पूजा के बारे में शोध करेंगे तो पाएंगे कि भगवान शिव तो मात्र बेल-पत्र और जल से ही खुश हो जाते हैं, जंगल में मिलने वाले विषैले और नशीले धतूरे और बेहद सुगम प्राप्त होने वाले बेर से ही भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को वरदान और समस्त समृद्धि देते हैं |
भगवान शिव ही सम्पूर्ण देवता हैं जो किसी में भेद नहीं करते उनके लिए राजा और रंक दोनों बराबर हैं वह देव और दानव में भी भेद नहीं करते | जो भी भक्ति भाव से उनके सामने नतमस्तक होता है भोले नाथ सभी का भला करते हैं |
शिव का व्यक्तित्व हमें सरल रहना सिखाता है, जो भी है जितना भी है उसमें प्रसन्न होना सिखाता है | किसी में भेद भाव ना करना और इतना होते हुए भी यही जीवन में विष हो तो उसको भी बिना किसी परेशानी के ग्रहण करना है शिवत्व है |
शिव के आशीर्वाद प्राप्ति के लिए कोई बड़ा अनुष्ठान करने की आवश्यकता नहीं, शिव की प्राप्ति के लिए शिव का अनुशरण करना सबसे सरल उपाय है |
शिव एक योगी हैं |
शिव एक साधक हैं |
शिव एक सफल प्रेमी और पति हैं |
शिव एक पिता हैं |
शिव महाबलशाली हैं |
शिव किसी से भेदभाव नहीं करते जो उनकी शरण में आते है उनका कल्याण होता है |
और इतना सब कुछ होते हुए भी जरुरत पड़ने पर जन-कल्याण के लिए विष-पान को तैयार रहते हैं | हमें शिव को देख कर सीख लेनी चाहिए और उनके जैसा बनने का प्रयास करना चाहिए |
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करिये और विस्तार से जानिये शिव के बारे में
महाशिवरात्रि का क्या महत्त्व है ?
कौन सा मंत्र है भोले नाथ को सबसे प्रिय ?
भांग-धतूरा क्यों खाते थे शिव ?
भस्म क्यों है अत्यत प्रिय है शिव को ?