Dipawali (दीपावली पर करें माँ लक्ष्मी को प्रसन्न )
- 21 October 2018
श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र
इस स्तोत्र के पाँचों श्लोकों में क्रमशः न, म, शि, वा और य है अर्थात् नम: शिवाय। यह पूरा स्तोत्र शिवस्वरूप है।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे "न" काराय नमः शिवायः॥
हे महेश्वर! आप नागराज को हार स्वरूप धारण करने वाले हैं। हे (तीन नेत्रों वाले) त्रिलोचन आप भष्म से अलंकृत, नित्य (अनादि एवं अनंत) एवं शुद्ध हैं। अम्बर को वस्त्र सामान धारण करने वाले दिग्म्बर शिव, आपके न अक्षर द्वारा जाने वाले स्वरूप को नमस्कार।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे "म" काराय नमः शिवायः॥
चन्दन से अलंकृत, एवं गंगा की धारा द्वारा शोभायमान नन्दीश्वर एवं प्रमथनाथ के स्वामी महेश्वर आप सदा मन्दार पर्वत एवं बहुदा अन्य स्रोतों से प्राप्त्य पुष्पों द्वारा पुजित हैं। हे म धारी शिव, आपको नमन है।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय। श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै "शि" काराय नमः शिवायः॥
हे धर्म ध्वज धारी, नीलकण्ठ, शि अक्षर द्वारा जाने जाने वाले महाप्रभु, आपने ही दक्ष के दम्भ यज्ञ का विनाश किया था। माँ गौरी के कमल मुख को सूर्य सामान तेज प्रदान करने वाले शिव, आपको नमस्कार है।
वषिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय। चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै "व" काराय नमः शिवायः॥
देवगणो एवं वषिष्ठ, अगस्त्य, गौतम आदि मुनियों द्वार पुजित देवाधिदेव! सूर्य, चन्द्रमा एवं अग्नि आपके तीन नेत्र सामन हैं। हे शिव आपके व अक्षर द्वारा विदित स्वरूप कोअ नमस्कार है।
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय। दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै "य" काराय नमः शिवायः॥
हे यज्ञ स्वरूप, जटाधारी शिव आप आदि, मध्य एवं अंत रहित सनातन हैं। हे दिव्य अम्बर धारी शिव आपके य अक्षर द्वारा जाने जाने वाले स्वरूप को नमस्कारा है।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ। शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
जो कोई शिव के इस पंचाक्षर मंत्र का नित्य ध्यान करता है वह शिव के पून्य लोक को प्राप्त करता है तथा शिव के साथ सुख पुर्वक निवास करता है।
॥ इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥