अक्षय तृतीया
- 13 May 2021
सावन मास को शिव का मास कहते हैं | शिव जी को सावन मास के साथ साथ सोमवार भी अत्यंत प्रिय है और जब यही सोमवार सावन का हो तो कहना ही क्या है |
सावन सोमवार की एक पौराणिक व्रत कथा के अनुसार जब सनत कुमारों ने भगवान शंकर से उन्हें सावन मास प्रिय होने का कारण पूछा, तो भगवान भोलेनाथ ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।
अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमालय और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। युवावस्था प्राप्त करने के बाद पार्वती ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए सावन मास में निराहार रह कर कठोर तप किया जिस से शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने पार्वती से विवाह किया | पार्वती के विशेष तप के कारण शिव जी को सावन मास अत्यंत प्रिय हो गया |
इसी कारण आज भी कुवारी लड़कियां सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए सावन मास के सोमवार का व्रत रखती है | विवाहित महिलाएं सावन से सोलह सोमवार करके दीर्घायु सुहागन रहने के लिए सोलह सोमवार करके सत्रहवें सोमवार को उनका उद्यापन करती हैं। हिंदू धर्म इस त्योहार का काफी महत्व होने के कारण सभी शिव भक्त श्रावण माह में खास तौर पर पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं। शास्त्रों के मुताबिक सोमवार व्रत में उपवास रखना श्रेष्ठ माना जाता है। व्रत की अवधि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक है। सावन मास में सोमवार व्रत-कथा नियमित रूप से करने पर भोलेनाथ तथा मां पार्वती की कृपा बनी रहती है।
बाबा की भक्ति करने वाले भक्तों पर आने वाले समस्त अनिष्टों को बाबा भोलेनाथ हर लेते हैं, अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है तथा भोलेनाथ शिव अपने भक्तों पर आने वाले हर कष्ट को स्वयं हर लेते हैं। साथ ही भोलेनाथ अपने भक्तों को समस्त सुख, ऐश्वर्य और धन-धान्य से भरापूरा रहने का आशीर्वाद देते हैं।