108 Name of Shiva
- 24 July 2014
चंद्रमा के नाम-
संस्कृत -चन्द्र, सोम, तारापति, शीतांशु कलानिधि, द्विजराज, मयंक, राकेश, रजनीश, शशि, शशांक, सुधाकर, हिमांशु, मृगांक |
अंग्रेजी- Moon (मून) |
उर्दू- कमर, माह, फार |
वर्ण – श्वेत (गौर)
अवस्था – युवा
लिंग – स्त्री
जाति – वैश्य
स्वरुप – सुन्दर
गुण – सत्त्व
तत्त्व- जल
प्रकृति – कफ
धातु – कास्य ( मतान्तर से – मणि)
रत्न – मोती (Pearl)
चंद्रमा को काल पुरुष का 'मन' कहा गया है, अतः यह मन अर्थात अन्तः करण का प्रतिक माना गया है | नवग्रहों में सूर्य और चंद्रमा को 'राजा' का पद दिया गया है परन्तु ज्योतिष में चंद्रमा को स्त्री-ग्रह माना गया है, अतः इसे सूर्य की अर्धांगिनी अर्थात 'रानी' के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए |
आधिपत्य -चंदमा को मन, अंतःकरण, मनोभाव, मानसिक-स्थिति, कोमलता, विन्रमता, दयालुता, हाव भाव , माता -पिता की संपत्ति, सुख संपत्ति, तथा ज्योतिष-विद्या का पूर्ण अधिपति माना गया है |
इसे जल, मोती, कृषि, श्वेत वस्त्र, चाँदी, चावल, मिश्री, गन्ना, मधु, नमक, स्त्री से लाभ, माता, पारिवारिक जीवन, नाविक, भ्रमणशील, साहसी व्यकि तथा राजभक्ति का अधिपति भी माना गया है |
चंद्रमा को चतुर्थ भाव का करक माना गया है |
मनुष्य के शरीर में गले से ह्रदय तक, अंडकोष तथा पिंगला नाड़ी चंद्रमा के अधिकार क्षेत्र में आती है |
रोग- कफ रोग, जल रोग, आलस्य, पांडु रोग, मानसिक विकार, मूड स्विंग, मूत्र-कृच्छ, स्त्री-संसर्ग-जन्य-रोग, वक्ष गाँठ आदि |
चंद्रमा की स्वराशि 'कर्क' है | यह वृष राशि में उच्च एवं मूल त्रिकोण का और वृश्चिक राशि में नीच का होता है | ( वृष राशि में 3 अंश तक परमोच्च वृश्चिक राशि में 3 अंश तक परम नीच तथा वृष राशि के 4 .50 अस्त तक इसकी मूल त्रिकोणस्थ संज्ञा है |)
सूर्य और बुध चंद्रमा के नैसर्गिक मित्र हैं |
राहु और केतु इसके शत्रु हैं |
मंगल, शुक्र और शनि से यह समभाव रखता है |
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