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ग्रहण सूतक

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सूतक काल - सूर्य ग्रहण अथवा चन्द्र ग्रहण के पहले के अशुभ समय को सूतक कहते हैं | सूर्यग्रहण में यह समय 4  पहर पहले से और चन्द्र ग्रहण में 3 पहर पहले से मान्य होता है | इस बार 4-अप्रैल-2015 को पड़ने वाला ग्रहण हस्त नक्षत्र में कन्या राशी में पड़ेगा | ग्रहण का समय

क्या करें क्या ना करें ?

  • ग्रहण काल में अपने ईष्ट का जाप करना अद्भुत कल्याणकारी है |
  • ग्रहण काल में किये गए जाप का फल अन्नंत होता है | 
  • ग्रहण काल में देव प्रतिमा का स्पर्श नहीं करना चाहिए ।
  • पके हुए खाने के सामान में तुलसी के पत्ते  डालने से ग्रहण के प्रभाव से मुक्ति व सुरक्षा होती है। 
  • ग्रहण के उपरांत चंद्र के सामन का दान (मोती, चांदी, दूध , चावल , सफ़ेद वस्त्र और दक्षिणा आदि) करना चहिये।
  • किसी भी ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को कुछ भी काटना, सिलना व कोई भी उतेजित कार्य नहीं करना चाहिए,
  • गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में धार्मिक ग्रंथो का पाठ या वैदिक मंत्रो का जाप करना चाहिए ऐसा करने से उनकी होने वाली सन्तान स्वस्थ व दीर्घायु होती है ।
  • ग्रहण काल दे दौरान कोई भी तामसिक कार्य वर्जित हैं, सोना, स्त्री-संग, मांस-मदिरा सेवन पूर्ण तौर पर वर्जित है |
  • ग्रहण काल के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और अपने पूरे घर में गंगाजल कुश द्वारा छिडक कर घर को शुद्ध करे |

 

गर्भवती स्त्रियाँ क्या करें ?

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में बाहर नहीं निकलना चाहिए व किसी भी प्रकार से कोई सब्जी काटना, सीना-पिरोना आदि से बचना चहिए। गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण के दौरान सोना, खाना , पीना और लेटना भी नहीं चाहिए | ग्रहण के दौरान रामायण का पाठ अथवा गुरु मंत्र का  जाप करने से कोई दोष नहीं लगता | ग्रहण काल में गर्भ नहीं ठहरना चाहिए, नहीं तो वह जन्म लेने वाला बालक ठीक नहीं होगा।

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