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- 29 June 2020
पंचामृत
पंचामृत पूजन का एक अभिन्न अंग है, चाहे सत्यनारायण जी की कथा हो या रुद्राभिषेक या कोई बड़े से बड़ा अनुष्ठान बिना पंचामृत के पूर्ण नहीं होता |
पंचामृत का अर्थ है पञ्च + अमृत पांच तरह के अमृत का मिश्रण
1. गोदुग्ध
2. गोदधि
3. गोघृत
4. शुद्ध शहद
5. शर्करा (खांड )
आध्यात्मिक दृष्टि से देखे तो जो व्यक्ति पंचामृत से देवमूर्ति (प्रतिमा) का अभिषेक करता हैं, देव स्पर्श के बाद पंचामृत सेवन से उसे मुक्ति प्रदान हो जाती हैं। श्रद्धापूर्वक पंचामृत का पान करने वाले व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार की सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं, एवं उसका शरीर मृत्यु के पश्च्यात जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता हैं।
चिकित्सा शास्त्र के अनुसार गाय का दूध, गाय का घी, दही, शर्करा और मधु के सम्मिश्रण में रोगो का निवारण करने वाले गुण विद्यमान होते हैं और यह शरीर के लिये लाभ कारक होता हैं।
नोट : पंचामृत में देसी गाय के दूध, दही, घी का प्रयोग करें, शर्करा के स्थान पर चीनी कदापि प्रयोग ना करें, देसी गुड का इस्तेमाल कर सकते हैं |
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