Navratri 2016
- 19 September 2016
एक महान लेखक अपने लेखन कक्ष में बैठा लिख रहा था। पिछले साल मेरा आपरेशन हुआ और मेरा गाल ब्लाडर निकाल दिया गया। इस आपरेशन के कारण बहुत लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा I इसी साल मैं 60 वर्ष का हुआ और मेरी पसंदीदा नौकरी चली गयी। जब मैंने उस प्रकाशन संस्था को छोड़ा मुझे उस कम्पनी में काम करते हुए ३० साल हो गये थे । इसी साल मुझे अपने पिता की मृत्यु का दुःख भी झेलना पड़ा। और इसी साल मेरा बेटा कार एक्सिडेंट हो जाने के कारण मेडिकल की परिक्षा में फेल हो गया क्योंकि उसे बहुत दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा। कार की टूट फुट का नुकसान अलग हुआ। अंत में लेखक ने लिखा, वह बहुत ही बुरा साल था।
जब लेखक की पत्नी लेखन कक्ष में आई तो उसने देखा कि, उसका पति बहुत दुखी लग रहा है और अपने ही विचारों में खोया हुआ है। अपने पति की कुर्सी के पीछे खड़े होकर उसने देखा और पढ़ा कि वो क्या लिख रहा था। वह चुपचाप कक्ष से बाहर गई और थोड़ी देर बाद एक दुसरे कागज़ के साथ वापस लौटी और वह कागज़ उसने अपने पति के लिखे हुए कागज़ के बगल में रख दिया। लेखक ने पत्नी के रखे कागज़ पर देखा तो उसे कुछ लिखा हुआ नजर आया, उसने पढ़ा - पिछले साल आखिर मुझे उस गाल ब्लाडर से छुटकारा मिल गया जिसके कारण मैं कई सालों से दर्द से परेशान था। इसी साल मैं 60 वर्ष का होकर स्वस्थ दुरस्त अपनी प्रकाशन कम्पनी की नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ। अब मैं पूरा ध्यान लगाकर शान्ति के साथ अपने समय का उपयोग और बढ़िया लिखने के लिए कर पाउँगा। इसी साल मेरे 95 वर्ष के पिता बगैर किसी पर आश्रित हुए और बिना गंभीर बीमार हुए परमात्मा के पास चले गए। इसी साल भगवान् ने एक्सिडेंट में मेरे बेटे की रक्षा की। कार टूट फुट गई लेकिन मेरे बच्चे की जिंदगी बच गई। उसे नई जिंदगी तो मिली ही और हाँथ पाँव भी सही सलामत हैं। अंत में उसकी पत्नी ने लिखा था, - इस साल भगवान की हम पर बहुत कृपा रही, साल अच्छा बीता। नजरिया बदलने पर कितना कुछ बदल जाता है। चीजें वही रहती हैं पर,आत्मसंतोष कितना मिलता है ? सोचो !!!
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