Sagittarius - धनु
- 29 October 2014
जाड़े का मौसम था। शाम का समय था। आकाश में घने बादल छाये हुए थे। नीम के एक पेड़ पर बहुत से कौए बैठे थे। लगातार काँव - काँव किये जा रहे थे परस्पर एक - दूसरे से झगड़ भी रहे थे।
उसी समय एक छोटी सी मैना वहाँ आ गयी। वह भी उसी नीम के पेड़ कि एक डाल पर बैठ गयी। उसे देखते ही कई कोए उस पर टूट पड़े। मैना डर गयी। उसने बड़ी ही विनती के साथ उन कौओं से कहा - "बादल बहुत घने हैं। इसलिए आज जल्दी अंधेरा हो गया है और मैं अपना घोसला भूल गयी हूँ। आज कि रात मुझे भी यहीं रहने दो। "
कौए बोले - "हरगिज नहीं , यह पेड़ हमारा है। तू यहाँ से फोरन भाग जा। "
मैना ने सहज ढंग से फिर से कहा - "पेड़ तो सब भगवान के हैं। ऐसी सर्दी में अगर वर्षा हो गयी और औले पेड़ गए तो भगवान ही हम लोगों के प्राण बचा सकते हैं। मैं तो हूँ ही बहुत छोटी सी , तुम्हारी बहन हूँ। मुझ पर दया करो और मुझे भी यहाँ बैठी रहने दो। "
कौए तो कौए थे। उन्होंने कहा - "हमें तुम जैसी बहन कि आवश्यकता नहीं है। तू बार - बार भगवान का नाम ले रही है तो भगवान के भरोसे चली क्यों नहीं जाती! यदि तू यहाँ से नहीं जायेगी तो हम तुझे मार - मारके तेरा भूत बना देंगे।"
जब मैना ने कौओं को काँव - काँव करते हुए अपनी ओर आते देखा तो वह डर कर वहाँ से उड़ गई और थोड़ी दूर जाकर एक आम के पेड़ पर बैठ गई। रात को आँधी आई। बादल छाये और बड़े - बड़े ओले पड़ने लगे। ओले भी साधारण नहीं , आलू जितने बड़े - बड़े। कौए काँव - काँव चिल्लाये , थोडा बहुत ईधर से उधर उड़े , पर ओलों कि मार से सब के सब घायल हो गए और जमीन पर गिर पड़े। उनमे से बहुत से मर भी गए।
मैना जिस आम के पेड़ पर बैठी थी , उसकी एक मोटी डाली आँधी में टूट गयी। डाली भीतर से खोखली हो गयी थी। डाली टूटी तो उस कि जड़ के पास पेड़ में एक खोखड़ हो गया। छोटी मैन उस में घुस गयी। उसे एक भी औला नहीं लगा।
सवेरा हुआ। थोडा समय बीता और चमकीली धूप निकल आई। मैना खोखड़ में से निकली। पंख फैलाकर भगवान को प्रणाम किया और उड़ चली।
पृथ्वी पर ओलों से घायल पड़े एक कौए ने मैना को उड़ते देखा तो बड़े कष्ट से कहा - "मैना बहिन , तुम कहाँ रहीं? तुम ओलों कि मार से कैसे बचीं?"
मैना ने उत्तर दिया - "मैं आम के पेड़ पर अकेली बैठी थी। वहीँ भगवान से प्रार्थना करती रहीं। दुःख में पड़े असहाय जीव को उन के सिवा और कौन बचा सकता है।"
भगवान केवल ओलों से ही नहीं बचाते और केवल मैना को ही नहीं बचाते। जो भी भगवान पर भरोसा करता है और भगवान को याद करता है उसकी भगवान सभी आपत्तियों और विपत्तियों में सहायता करते हैं और रक्षा भी करते हैं।