Capricorn Education 2015
- 01 December 2014
कात्यायनी-
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष्य की प्राप्ति और भय के नाश के लिए माता के कात्यायनी स्वरुप की उपासना की जाती है |
नवरात्री के छठे दिन माँ दुर्गा की उपासना "कात्यायनी" के रूप में की जाती है ! ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण आप कात्यायनी कहलाई | आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्मी भगवती ने शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक ऋषि कात्यायन की पूजा ग्रहण की और दशमी के दिन महिषासुर का वध किया था | माता का स्वरुप अत्यंत ही भव्य एवं दिव्य है माता की चार भुजाएं हैं, माता की दाहिनी भुजाओं मे अभय व् वर मुद्रा और बायीं भुजाओं मे खडग और कमल सुशोभित हैं | माता सिंह पर विराजती हैं | माता कात्यायनी वज्रमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप मे प्रतिष्ठित हैं | जो साधक मन, वचन एवं कर्म से माता की उपासना करते हैं उन्हें धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष के फल प्रदान करती हैं और शत्रुओं का विनाश करती हैं |
हाथों में पुष्प ले कर माता का ध्यान करें
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना । कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवघातिनी ॥
ध्यान मंत्र के बाद माता के श्री चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें तत्पश्चात पंचोपचार पूजन के बाद भोग लगाएं और निम्न मंत्र की यथाशक्ति अथवा १०८ बार जाप करें -
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कात्यायनी देव्यै नमः"
जप के उपरांत माता की स्तुति करें और आरती करें |