Aries (मेष) 2018
- 25 December 2017
पूजा या ईश्वर की आराधना में जिस प्रकार यज्ञ और पूजन प्रक्रिया के बारे में पिछले पेज में बताया गया उसी प्रकार पूजन की दो परिपाटी होती है
1 . वैदिक परिपाटी
2 . पौराणिक परिपाटी
वैदिक मंत्रो द्वारा पूजन करना वैदिक परिपाटी के अंतर्गत आता है | वेदों से प्राप्त हुए मन्त्र का पूजन वैदिक पूजन कहलाता है | जो यज्ञोपवीतधारी होता है वही वैदिक मंत्रो का जाप अथवा प्रयोग का अधिकारी होता है |
पौराणिक मन्त्रों द्वारा पूजन करना पौराणिक परिपाटी के अंतर्गत आता है | वेदों के अतिरिक्त या कहें पुराणों से जो मंत्र निकले है उनको पौराणिक पूजन कहते हैं | इन मन्त्रों द्वारा पूजन व जाप कोई भी कर सकता है अर्थात जिसका यज्ञोपवीत संस्कार ना हुआ हो वह भी इसे कर सकता है |
संक्षेप में - जो यज्ञोपवीतधारी हो वह वैदिक मंत्रो तथा पौराणिक मन्त्रों से अपने आराध्य (इष्ट ) का पूजन कर सकते है | जिनका यज्ञोपवीत ना हुआ हो, वह वैदिक मन्त्रों का उच्चारण ना करके केवल पौराणिक मन्त्रों द्वारा पूजन कर सकते हैं |
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