मिथुन - कर्क आषाढ़ राशिफल
- 06 April 2015
स्कंदमाता -
कुंठा, कलह एवं द्वेष से मुक्ति के लिए भगवती स्कंदमाता की आराधना की जाती है |
नवरात्री के पांचवे दिन माँ दुर्गा की उपासना "स्कंदमाता" स्वरुप में करने का विधान है माता के भक्त माता के इस स्वरुप को पूज कर समस्त लौकिक, सांसारिक और मोह-माया के बंधनो से मुक्त हो कर पद्मासना माँ के श्री चरणों में निर्लिप्त हो जाता है | माता का वाहन सिंह है और माता की चार भुजाएं है, माता की गोद में हमेशा ही कुमार कार्तिकेय विराजमान रहते हैं और इसी कारण माता को स्कंदमाता कहते हैं | स्कंदमाता ने ही देव-शत्रु तारकासुर का वध किया था |
पुष्प को हाथों में ले कर माता का ध्यान करें
ध्यान मंत्र
सिंहासन गता नित्यं पद्माश्रित कर द्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
ध्यान मंत्र के उपरान्त पुष्प को माता के श्रीचरणों में अर्पित करें और पंचोपचार पूजन सहित नैवेद्य अर्पण करें उसके बाद माता के निम्नलिखित मन्त्र का जाप कम से कम १०८ बार करें "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ स्कन्दमातेति नमः"
अपने मनोरत की पूर्णता के लिए माँ से नम्र निवेदन करने के बाद आरती करें |