पौष (Paush)
- 16 January 2015
l l श्री गणेशाय नमः l l
विष्णु सहस्त्रनाम -स्त्रोत्रम
यस्म स्मरण मात्रेण जन्म सं सार बन्धनात l विमुच्यते नमस्तस्मै विष्णवे प्रभाविष्ण्वे l l नमः समस्त भूताना मादि भूताय भू भ्रुते l अनेक रूप रूपाय विष्णवे प्रभा विष्णवे l l
श्री वैशाम्पlयना उवाचा : श्रुत्व धर्मं अशेशेना पवानानी च सर्वशः | युधिष्टिर शन्तानावं पुनरेवा भ्य भाषातः || युधिष्टिर उवाच : किमेकं दैवतं लोके किम वाप्येकं परायणं | स्तुवन्त कं कमर्चान्त प्रप्नुयुर्मा नवा शुभम || को धर्म सर्व धर्माणं भवत परमो मत | किं जपन मुच्यते जन्तुर्जन्म संसार बन्धनात || श्री भीष्म उवाचा : जगत्प्रभू देव देवमनन्तं पुरुषोत्तमंम | स्तुवन नामा सहस्रेण पुरुष सततोत्थित || तमेव चर्चायण नित्यं भक्त्या पुरुषम व्ययम | ध्यायन स्तुवन नमस्यं श्च यजमान स्तमे वच || अनादि निधनं विष्णुम सर्व लोक महेश्वरम | लोकाध्यक्षं स्तुवन नित्यं सर्व दुखातिगो भवेत || ब्रह्मण्यं सर्वधर्मंज्ञं लोकानां कीर्तिवर्धनम | लोकनाथं महद भूतं सर्व भूत भवोद भवम || एष में सर्व धर्माणं धर्मो धिकतमो मत | यद् भक्त्या पुंडारीकाक्षं स्तवैर र्चेत्रर सदा || परमं यो महत्तेज परमं यो महत्तप | परमं यो महद ब्रह्मा परमं य परायणंम || पवित्राणां पवित्रं यो मडगलानां चमडगलम | दैवतं देवतानां च भूतानां यो व्यय पिता || यत सर्वाणि भूतानि भवन्थ्यादि युगागमे | यस्मिंश्च प्रलयं यन्ति पुनरेव युगक्षये || तस्य लोक प्रधानस्य जगननाथस्य भूपते |
विष्णोर्नाम सहस्रं में श्रुणु पाप भायापहम || यानि नामानी गौणानि विख्यातानि महात्मन | ऋषीभि परी गीतानी तानी वक्ष्यामि भूतये || ॐ विश्वं विष्णुर्व षट कारो , भूत भव्य भवत्प्रभु | भूतक्रुद भूतभृदभावो , भूतात्माभूतभावन || पूतात्मा परमात्मा चमुक्तानां परमा गति | अव्यय पुरुष साक्षी क्षेत्राज्ञों क्षर एवच || योगो योगाविदां नेता प्रधान पुरुषेश्वर | नारासिंह वपु श्रीमान केशव पुरुषोत्तम || सर्व शर्व शिव स्थाणु भूतादिर्निधिर व्यय | सम्भवो भावनो भर्ता प्रभव प्रभुरीश्वर || स्वयंभू शम्भुरा दित्य पुष्कराक्षो महास्वन | अनादि निधनो धाता विधाता धातु रुत्तम ||. अप्रमेयो हर्षिकेश पदमनाभो मर प्रभु | विश्वकर्मा मनुस्त्वाष्टा स्थविष्ट स्थविरो ध्रुव || अग्राह्य शाश्वत कृष्णो लोहिताक्ष प्रतर्दन | प्रभु तस्त्रिक कुब्धाम पवित्रं मडगलं परम || ईशान प्राणद प्राणों ज्येष्ट श्रेष्ट प्रजापति | हिरण्य गर्भो भू गर्भो माधवो मधु सूदन || ईश्वरो विक्रमी धन्वी मेधावी विक्रम क्रम | अनुत्तमो धुर धर्ष कृताज्ञ कृतिरात्मावान || सुरेश शरणं शर्म विश्वरेता प्रजाभव | अह संवत्सरो व्याल प्रत्यय सर्व दर्शन || अजः सर्वेश्वर सिद्दि सिद्दि सर्वा दिरच्युत | वृषा कपिर मेयात्मा सर्व योग विनि सृत || वसुर्वसुमना सत्यसमात्मा सम्मितसम |
अमोघः पुण्डरीकक्षों वृषकर्मा व्र्शक्रूति || रुद्रो बहु शिरा बभ्रुर्विश्वयोनि शुचिश्रा | अमृत शाश्वत स्थानुर्वरारो हो महातपा || सर्वाग सर्व विद भानुर्विश्वक्सेनो जनार्दन | वेदों वेद विदव्यड गोवेदड गोवेद वित् कवि || लोकाध्यक्ष सुराध्यक्षो धर्माध्यक्ष क्र्ताकृत | चतुरात्मा चतुर्व्यूह श्चतुर्दष्ट्र चतुर्भुज || भ्रजिष्णुर्भोजनं भोक्ता सहिष्णुर्ज गदादिज | अनघो विजयो जेता विश्वयोनी पुनर्वसु || उपेन्द्रो वामन प्रांशुरमोघ शुचिरुर्जित | अतीन्द्र संग्रह सर्गो धृतात्मा नियमोयम || वेद्यो वैद्य सदायोगी विराहा माधवो मधु | अतीन्द्रियो महामायो महोत्साहो महाबल || महाबुद्धिर्म हाविर्यो महाशाक्तिर्म हाद्युति | अनिर्देश्यवपू श्रीमानमे यात्मा महा दृद्रुक || महेष्वासो मही भर्ता श्रीनिवास सतां गति | अनिरुद्ध सुरानन्दो गोविन्दो गोविंदा पति ||
मरिचिर्दामनो हंस सुपर्णो भुजगोत्तम | हिरण्यनाभ सुतपा पदमनाभ प्रजापति || अम्र्त्यु सर्व द्रुक सिंह सन्धाता सन्धिमन स्थिर | ओदुर्मर्षण शास्ता विश्रुतात्मा सुरारिहा || गुरुर्गुरुतमो धाम सत्य सत्य पराक्रम | निमिशो निमिष स्रग्वी वाचस्पति रुदाराधि || अग्रनीर्ग्रा मणी श्रीमान न्यायो नेता समीरण | सहस्र मूर्धा विश्वात्मा सहस्राक्षः सहस्रपत ||
आवर्तनो निव्रत्तात्मा संवृत सम्प्रमर्दन | अह संवर्तको वह्निरनिलो धरणीधर || सुप्रसाद प्रसन्नात्मा विश्वध्र्ग विश्वभुग विभु | सतकर्ता सत्कृत सधुर्ज ह्नुर्नारायाणोनर || असंक्येयो प्रमेयात्मा विशिष्ट शिस्ताक्रूचछुचि | सिद्धार्थ सिद्ध संकल्प सिद्धिद सिद्धि साधन || वृषाही वृषभो विष्णु र्व्रुषपर्वा वृषो दर | वृर्धनो वर्धमानश्चा विविक्त श्रुति सागर || सुभुजो दुर्धरो वाग्मी महेन्द्रो वसुदोवसु | नैकरूपो ब्र्हदृपो शिपिविष्ट प्रकाशन || ओजस्तेजोद्युतिधर प्रकाशात्मा प्रतापन | ऋद्दा स्पष्टाक्षरो मंत्रश्चंद्र शुर्भास्कर द्युति || अमृतां शूदभावो भानु शशबिन्दु सुरेश्वर | औषधं जगत सेतु सत्यधर्म पराक्रम || भूतभव्य भवन्नाथा , पवन पावनो-नल | कामहा कामकृत कान्त , काम-कामप्रद प्रभु || युगादी क्रुद युगावर्तो नै कमायो महाशन | अद्र्श्योव्यक्त रुपश्चसहस्र जिदनन्तजित || इष्टो विशिष्ट शिष्टेष्ट शिकंडी नहु षो वृष | क्रोधाहा क्रोध क्र्त्कर्ता विश्वभाहुर्म हीधर || अच्युत प्रथित प्राण प्राणदो वसवानुज | अपां निधिर धिष्टनमप्रमत्त प्रतिष्टित || स्कन्द स्कन्द धरो धुर्यो वरदो वायु वाहन | वासुदेवो बृहद भानुरा दिदेव पुरन्दर || अशोकस्तरणस्तर शूर -शौरिर्ज नेश्वर | अनुकूल शतावर्त पदमी पदमनिभेक्षण ||
पदमनाभोर विन्धक्ष पदम गर्भ शरीर भृत | महार्दिर ऋद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुड ध्वज || अतुल शरम्भो भीम समयज्ञो हविर्हरी | सर्व लक्षण लाक्षन्यो लक्ष्मीवान समितत्र्त्र || विक्षरो रोहितो मार्गो हेतुर्दा मोदर सह | महीधरो महाभागो वे गवान -मिताशन || उदभवऋक्षो भणो देव श्रीगर्भः परमेश्वर | करणं कारणं कर्ता विकर्ता गहनों गुह || व्यवसायों व्यवस्थान संस्थान स्थानदो ध्रुव | परिर्द्धि परम स्पष्टस्तु-पुष्ट शुभेक्षण || रामो विरामो विराटो मार्गो नेयो नयो -नय | वीर शक्ति मतां श्रेष्टो धर्मो धर्मं विदुत्तम || वैकुंट पुरुष प्राण प्राणाद प्रणव पृथु | हिरण्यगर्भ शत्रुघ्नो व्याप्तो वायु रधो क्षज ||
ऋतु सुदर्शन काल परमेष्टि परिग्रह | उग्र संवत्सरो दक्षो विश्रामो विश्व दक्षिण || विस्तार स्थावर स्थाणु प्रमाणं बीज मव्ययम | अर्थो -नर्थो महाकोशो महा भोगो महाधन || अनिर्विन्न स्थाविष्टा -भूर्धर्मयूपो महामख | नक्षत्रेंन मिर्न क्षत्री क्षम-क्षाम समीहन || यज्ञ इज्यो महेज्यश्चा क्रतु सत्रं सता गति | सर्व दर्शी विमुक्तात्मा सर्वज्ञो ज्ञान मुत्तमम || सुव्रत सुमुख सूक्ष्म , सुघोष सुखद सुह्र्त | मनोहरो जितक्रोधो वीर बाहु र्विदारण || स्वापन स्ववशो -व्यापी , नै कात्मा नै ककर्म कृत |
वत्सरो वत्सलो वत्सी , रत्नगर्भो धनेश्वर | धर्मगुब धर्मक्र्द धर्मी , सद्सत्क्षर मक्षरम | अविज्ञाता सहस्रां शुर्विधता कृतलक्षण || गभस्थिनेमि सत्त्वस्थ सिंहो भूत महेश्वर | आदिदेवो महादेवो देवेशो देवाभ्रुद गुरु || उत्तरों गोपतिर्गो प्ता ज्ञानागम्य पुरातन | शरीर भूत भृद भोक्ता कपीन्द्रो भूरी दक्षिण || सोमपो -मृतप सोम पुरुजित पुरुसत्तम | विनयो जय सत्य संधो दशार्ह सत्वताम पति || जीवो विनयिता साक्षी मुकुन्दो -मितविक्रम | अम्भो निधिर नन्तात्मा महोद धिशयोन्तक || अजो महार्ह स्वाभाव्यो जितामित्र प्रमोदन | आनन्दो -नन्दनो -नन्द सत्यधर्मा त्रिविक्रम || महर्षि कपिलाचार्य कृतज्ञो मेदिनी पति | त्रिपदस्त्रि दशाद्यक्षो महा श्रुंगा कृतान्त कृत || महावराहो गोविन्द सुषेण कन काड गदी | गुह्यो गभीरो गहनों , गुप्त श्चक्र गदाधर || वेधा स्वांगो जित कृष्णो दृढ संकर्षणो च्युत | वरुणो -वरुणो -व्रक्ष पुष्कराक्षो महमान || भगवान भागाहानंदी वनमाली हलायुध | आदित्यो ज्योतिरा दित्य सहिष्णुर्गातिसत्तम || सुधन्वा खण्डपर शुर्दा रुणो द्रविण प्रद | दिवस्प्रुक सर्व दृग व्यासो वाचास्पतिर योनिज || त्रिसामा सामग साम निर्वाणं भेषजं भिषक | संन्यसकृच्छम शान्तो निष्ठा शान्ति परायणंम || शुभंगास शान्तिद स्त्राष्ट कुमुद कुवलेशय |