अष्ट लक्ष्मी स्तोत्र
- 07 September 2018
रामनवमी का पर्व 1 अप्रैल 2012 को मनाया जाएगा। इस दिन पुष्य नक्षत्र पूरे दिन रहेगा तथा रवि पुष्य नक्षत्र का विशेष योग बनेगा। इसके साथ ही पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।
इस संबंध में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार भगवान श्रीराम ने सूर्यवंश में जन्म लिया और इस वर्ष उनका जन्मदिन सूर्य के स्वामित्व वाले रविवार को आने से यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो गया है। उनका जन्म समय दोपहर के ठीक बारह बजे का है जो दिन का मध्यकाल होता है तथा सूर्य अपने पूरे तेज पर होता है। दुर्गा नवमी का पूजन भी इसी दिन होगा तथा चैत्र नवरात्र का समापन होगा।
अगस्त्यसंहिता के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष के मध्यान्ह से शुरु होन वाली दशमी युक्त नवमी व्रत के लिए शुभ मानी जाती है। यदि उस दिन पुर्नवसु नक्षत्र का संयोग हो जाए तो तो वह अधिक पुण्य देने वाली बन जाती है। नवमी का व्रत कर दशमी को व्रत का पारण करने का विधान शास्त्रों में दिया गया है। 1 अप्रैल को दशमी तिथि मध्यान्ह काल से पूर्व ही शुरु हो जाएगी फिर भी यह व्रत के लिए उत्तम मानी गयी है।
अगस्त्य संहिता के अनुसार श्रीराम का जन्म दशमी युक्म नवमी को पुर्नवसु एवं पुष्य नक्षत्र के संयोग में चैत्र मास शुक्ल पक्ष में हुआ। उस समय सूर्य मेष राशि में था तथ पांच अन्य ग्रहों की उस पर शुभ दृष्टि थी।
रविवार को सूर्य बुध के साथ मीन राशि में स्थित होगा जिसका स्वामि गुरु है। मंगल, केतु मित्र राशि में शुक्र स्वयं की राशि में तथा शनि उच्च का होगा। बुध नीच का तथा राहु शत्रु राशि में हैं। पांच ग्रह मंगल, बुध, शनि, राहु, केतु वक्री रहेंगे।
पं. शर्मा के अनुसार सभी राशि वालों को श्रीराम का पूजन विशेषफलदायी होगा। राशि अनुसार इस प्रकार पूजें श्रीराम को...
मेष-श्रीराम को सुगंधित पुष्प अर्पण करें।
वृषभ-श्रीराम दरबार का पूजन करें और फल अर्पण करें।
मिथुन-श्रीराम नाम का यथासंभव जाप करें।
कर्क-श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
सिंह-श्रीराम, सीता का दर्शन कर सुंदरकांड का पाठ करें।
कन्या-श्रीराम को सुगंधित द्रव्य समर्पित करें।
तुला-श्रीराम को चंदन का तिलक लगाएं।
वृश्चिक-श्रीराम को फल-फूल अर्पण करें।
धनु-श्रीराम दरबार का दर्शन करें।
मकर-श्रीरामाष्टक का पाठ करें।
कुंभ-श्रीराम का सीता सहित पूजन करें।
मीन- श्रीराम की स्तुति करें।