शनि अमावस्या (Shani-Amavas )
अमित बहोरे
शनि अमावस्या एक अत्यंत अनोखा दिन जिस दिन हम शनि के उपाय कर के शनि की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, जब भी अमावस्या वाले दिन शनिवार आता है उसको ही शनि अमावस्या कहते हैं इस बार 4 मई 2019 को भी शनिवार को अमावस्या है | आइये जाने शनि को और किन उपायों को कर के हम शनि देव से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं -
आइये जाने शनि देव के बारे में, क्योंकि यदि हमें शनि को प्रसन्न करना है तो उनके बारे में जानना भी बहुत जरुरी है |
- शनि सूर्य के पुत्र है |
- उनकी माता का नाम छाया है |
- इनके भाई यमराज है और बहन यमुना है |
- सूर्य पुत्र होने के बावजूद इनका सूर्य से वैचारिक मतभेद है |
- परन्तु सूर्य आराधना करने वाले का शनि भी सम्मान करते है |
- इनको ग्रहों में न्यायाधीश का पद मिला हुआ है |
- इनको इंसान में इंसानियत पसंद है |
- शनि जैसे को तैसा देता है |
इस शनि अमावस्या का फायदा सभी को उठाना चाहिए, चाहे वो शनि के प्रभाव में हो या ना हो, क्योंकि सभी व्यक्ति को अपने जीवन काल में तीन बार साढ़ेसाती के प्रभाव में आना होता है | शनि के दशा अंतर्दशा में भी ये उपाय किये जा सकते है | इस दिन से ये उपाय शुरू किये जा सकते हैं |
सभी के करने वाले उपाय
- माता पिता का आदर करें |
- भिखारी, दुर्बल, रोगी का उपहास ना करें |
- मांस-मदिरा व नशीली वस्तुओं से अपने को दूर रखें |
- सच बोलने की कोशिश करें |
- शनि देव को तिल और तेल चढाएं |
- शनिवार को पीपल के नीचे दीपक जलाये व 7 फेरी लें |
साढ़ेसाती, ढैया, शनि महादशा या अंतर्दशा वाले यह उपाय करें
- मांस-मदिरा व नशीली वस्तुओं को तुरंत छोड दें |
- शनि के निम्नलिखित किसी मंत्र का जाप कम से कम २३००० जाप करवाए |
वैदिक मंत्र :
ऊँ शनों देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
पौराणिक मंत्र :
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
- स्वयं बजरंग बाण, हनुमान चालीसा, शनि चालीसा का रोजाना पाठ करें |
- हर शनिवार को किसी विकलांग को कुछ अवश्य खिला दें |
- कुष्ठ रोगियों को वस्त्र दान करें |
- शनिदेव को हर शनिवार को तेल चढाएं |
- अपने को सबसे छोटा समझें |
- लोहे का छल्ला दायें हाथ की मध्यमा में इसी दिन धारण करें |
- शनि अमावस्या को व्रत रखना भी लाभ देगा |
- व्रत विधि शनिवार का व्रत रखें। व्रत के दिन शनिदेव की पूजा (कवच, स्तोत्र, मन्त्र जप) करें। शनिवार व्रतकथा पढ़ना भी लाभकारी रहता है। व्रत में दिन में दूध, लस्सी तथा फलों के रस ग्रहण करें(नमक नहीं लेना है), सांयकाल हनुमान जी या भैरव जी का दर्शन करें। काले उड़द की खिचड़ी या उड़द की दाल का मीठा हलवा ग्रहण करें|
साढ़ेसाती क्या है ?
शनि शत्रु नहीं है मित्र है, परन्तु सिर्फ उन्ही का जो इंसानियत का मतलब जानते है......
हम भी शनि का पूर्ण लाभ पा सकते है यदि हम सामाजिकता की परिभाषा समझें और इंसानियत को शर्मिंदा ना होने दें |
ढईया क्या है ?