प्रश्न:- सुहागन स्त्रियां क्यों लगाती हैं मांग में सिंदूर? उत्तर:- आपने देखा होगा कि विवाह के बाद हर सुहागन स्त्री सुहाग की निशानी के तौर पर मांग में सिंदूर लगाती हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर सिंदूर को सुहाग की निशानी मानकर महिलाएं क्यों सिंदूर से मांग सजाती है। भारतीय वैदिक परंपरा खासतौर पर हिंदू समाज में शादी के बाद महिलाओं को मांग में सिंदूर भरना आवश्यक हो जाता है। आधुनिक दौर में अब सिंदूर की जगह कुमकुम और अन्य चीजों ने ले ली है। सवाल यह उठता है कि आखिर सिंदूर ही क्यों लगाया जाता है। दरअसल इसके पीछे धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है। यह कारण पूरी तरह स्वास्थ्य से जुडा है। सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। यह अत्यंत संवेदनशील भी होती है। यह मांग के स्थान यानी कपाल के अंत से लेकर सिर के मध्य तक होती है। सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें पारा नाम की धातु होती है। पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है। महिलाओं को तनाव से दूर रखता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रखता है। विवाह के बाद ही मांग इसलिए भरी जाती है क्योंकि विवाह के बाद जब गृहस्थी का दबाव महिला पर आता है तो उसे तनावए चिंता और अनिद्रा जैसी बीमारिया आमतौर पर घेर लेती हैं। पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो तरल रूप में रहती है। यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी है, इसी कारण सिंदूर मांग में भरा जाता है। महिला सिर के जिस स्थान पर सिंदूर लगाती हैं वह स्थान ब्रह्मरन्ध्र और अध्मि नामक कोमल स्थान के ठीक ऊपर होता है। माना जाता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का यह स्थान अधिक कोमल और संवेदनशील होता है। सिंदूर में मौजूद तत्व इस स्थान से शरीर में मौजूद वुद्युत उर्जा को नियंत्रित करती है। इससे बाहरी दुष्प्रभाव से भी बचाव होता है। धार्मिक दृष्टि से सिंदूर लगाने का कारण ऐसी मान्यता कि जब हनुमान जी ने सीता माता को सिंदूर लगाते देखा तो पूछा लिया कि माता आप सिंदूर क्यों लगा रही हैं। इसके उत्तर में देवी सीता ने कहा कि मांग में सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है। पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है। देवी सीता के इस कथन के बाद से ही महिलाओं में सिंदूर से मांग भरने की परंपरा ने जोर पकडा।