Grah Mahadasha/Antardasha
- 15 November 2013
नंदी अवतार भगवान शंकर सभी जीवों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
शिव का नंदीश्वर अवतार भी इसी बात का अनुसरण करते हुए सभी जीवों से प्रेम का संदेश देता है।
नंदी (बैल) कर्म का प्रतीक है, जिसका अर्थ है कर्म ही जीवन का मूल मंत्र है।
इस अवतार की कथा इस प्रकार है- शिलाद मुनि ब्रह्मचारी थे। वंश समाप्त होता देख उनके पितरों ने शिलाद से संतान उत्पन्न करने को कहा।
शिलाद ने अयोनिज और मृत्युहीन संतान की कामना से भगवान शिव की तपस्या की।
तब भगवान शंकर ने स्वयं शिलाद के यहां पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया।
कुछ समय बाद भूमि जोतते समय शिलाद को भूमि से उत्पन्न एक बालक मिला।
शिलाद ने उसका नाम नंदी रखा।
भगवान शंकर ने नंदी को अपना गणाध्यक्ष बनाया औरअपने वाहन का भी दर्जा दिया |
इस तरह नंदी नंदीश्वर हो गए। मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ नंदी का विवाह हुआ। नंदी-अवतार शिव को अत्यंत प्रिय है, कोई भी शिवालय बिना नंदी के पूर्ण नहीं होता |
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