महाकाल स्तोत्र
- 03 August 2017
आज आप लोगों के समक्ष माता के हवन की सरलतम विधि बता रहा हूँ, आशा करता हूँ आप इसको समझ कर हवन करके माता के आशीर्वाद के अधिकारी बनेंगे | ऐसे तो माता के हवन में अनेको अनेक सामग्रियों का उपयोग होता है पर जैसा मैंने बताया कि यह आप स्वयं घर पर बिना किसी पुरोहित के मदद से कर पाएं उसके लिए हवन सामग्री नीचे बताई जा रही है -
हवन सामग्री
१. हवन कुण्ड २. आम की लकड़ी ३. हवन सामग्री { काला तिल, चावल (अखंडित), जवा (जौ), गेहूं, पीली सरसों , चना , काली-उरद (साबुत), गुगुल, अनारदाना, बेलपत्र, देसी गुड अथवा शुद्ध शहद } ४. गाय का घी ५. देशी कर्पूर ६. दिया ७. हवन सामग्री मिलाने के लिए बर्तन ८. घी की आहुति डालने के लिए लम्बा चम्मच ९. गंगाजल १०. लोटा या आचमनी ११. पान का पत्ता १२. अनारदाना १३. फल १४. फूल-माला
१५. भोग के लिए मिष्ठान
हवन शुरू करने से पहले सर्वप्रथम हवनकर्ता स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले |
उसके बाद जो ऊपर बताई गयी हवन सामग्री है उसको एक बर्तन में साफ़ करने के उपरांत अच्छे से मिला लें | बाजार में बानी रेड़ीमेड हवन सामग्री भी उपयोग कर सकते है |
हवन कुण्ड को घर के ऐसे स्थान पर स्थापित करें जहाँ वह बच्चों की पहुंच से दूर रहे | हवन कुण्ड ऐसे व्यवस्थित करें जिसमें आप का मुहं हवन के दौरान या तो पूर्व दिशा में हो अथवा उत्तर दिशा में हो
हवन सामग्री मिलाने के बाद किसी बर्तन में रख लें |
सर्वप्रथम अपने ऊपर गंगाजल छिड़क कर अपने को शुद्ध करें |
एक दीपक प्रज्वलित करें (यह दीपक पुरे हवन के दौरान बुझना नहीं चाहिए ) उसके बाद कुछ आम की लकड़ियों को हवन कुण्ड में रखें और कर्पूर के माध्यम से उसमें अग्नि को प्रज्वलित करें |
तत्पश्चात हवन कुण्ड पर से (क्लॉक वाइज) जल को घुमाएं, अग्नि देव को प्रणाम करें |
अग्निदेव का यथाउपलब्ध सामग्रियों से पूजन करें, पुष्प माला हवन कुण्ड के बाहर चढ़ाएं, फल और मिष्ठान का भोग लगयाएं | मिष्ठान को अग्नि में डाल सकते हैं |
अग्निदेव से मानसिक प्रार्थना करें कि "हे अग्निदेव मैं जिन देवी देवताओं के नाम से हव्य प्रदान कर रहा हूँ उन-उन देवी-देवताओं तक पहुँचाने का कष्ट करें |"
जिस भी मंत्र के साथ आहुति दी जाती है उसके साथ स्वाहा जोड़ दिया जाता है, स्वाहा के उच्चारण के साथ ही हव्य अथवा घी की आहुति दें
अब घी द्वारा पांच आहुति दें
ॐ गं गणपतये स्वाहा ॐ नमः शिवाय स्वाहा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्वाहा ॐ सूर्याय स्वाहा ॐ अग्निदेवाय स्वाहा
इसके बाद देवी हवन में हव्य से ॐ दुर्गा देवी नमः स्वाहा ॐ शैलपुत्री देवी नमः स्वाहा ॐ ब्रह्मचारिणी देवी नमः स्वाहा ॐ चंद्रघंटा देवी नमः स्वाहा ॐ कुष्मांडा देवी नमः स्वाहा ॐ स्कंदमाता देवी नमः स्वाहा ॐ कात्यायनी देवी नमः स्वाहा ॐ कालरात्रि देवी नमः स्वाहा ॐ महागौरी देवी नमः स्वाहा ॐ सिद्धिदात्री देवी नमः स्वाहा
इसके बाद आप अपने किये गए जप का दशांश हवन अथवा गुरु द्वारा दिए गए मंत्र में स्वाहा जोड़ कर हवन कर सकते हैं | अगर मंत्र में पहले से ही स्वाहा जुड़ा हुआ है तो स्वाहा जोड़ने की आवश्यकता नहीं है |
हवन के उपरांत बची हुई हवन सामग्री को पान के पत्ते पर रख के और घी को धार से अग्नि में चढ़ा दें | फिर जल को हाथ में ले कर हवन कुण्ड पर से घुमा कर जमीन पर गिरा दें और हाथ जोड़ कर माता से क्षमा प्रार्थना करें |