Sagittarius Wealth 2015
- 01 December 2014
‘ महाराज, मैं जीवन में सर्वोच्च शिखर पाना चाहता हूँ... लेकिन इसके लिए मैं निम्न स्तर से शुरुआत नहीं करना चाहता ।।। क्या आप मुझे कोई ऐसा रास्ता बता सकते हैं जो मुझे सीधा सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा दे।।। '
संत बोले,
‘अवश्य बताऊंगा,,,
पहले तुम आश्रम के बागीचे से सबसे सुंदर गुलाब का फूल लाकर मुझे दो।।। लेकिन एक शर्त है, जिस गुलाब को तुम पीछे छोड़ जाओगे, उसे पलटकर नहीं तोड़ोगे ।।।'
युवक यह आसान सी शर्त मानकर बागीचे में चला गया।।।
वहाँ एक से एक सुंदर गुलाब खिले थे। जब भी वह एक गुलाब तोड़ने के लिए आगे बढ़ता, उसे कुछ दूर पर उससे भी अधिक सुंदर गुलाब नजर आते और वह उसे छोड़ आगे बढ़ जाता।।।
ऐसा करते-करते वह बागीचे के मुहाने पर आ पहुँचा ।।। लेकिन यहाँ उसे जो फूल नजर आए वे एकदम मुरझाए हुए थे।।।
आखिरकार वह फूल लिए बिना ही वापस आ गया।।। उसे खाली हाथ देखकर
संत ने पूछा,,,
"‘क्या हुआ बेटा, गुलाब नहीं लाए ???’"
युवक बोला, ‘ बाबा, मैं बागीचे के सुंदर और ताजा फूलों को छोड़कर आगे और आगे बढ़ता रहा,,, मगर अंत में केवल मुरझाए फूल ही बचे थे। आपने मुझे पलटकर फूल तोड़ने से मना किया था।।।इसलिए मैं गुलाब के ताजा और सुंदर फूल नहीं तोड़ पाया।।।'
उस पर संत मुस्कुरा कर बोले,,,
‘"जीवन भी इसी तरह से है।।। इसमें शुरुआत से ही कर्म करते चलना चाहिए।। कई बार अच्छाई और सफलता प्रारंभ के कामों और अवसरों में ही छिपी रहती है। जो अधिक और सर्वोच्च की लालसा पाकर आगे बढ़ते रहते हैं,,,
अंत में उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है।।। '
युवक उनका आशय समझ गया !!! और आप...??