शिव - एक परिचय
शिव शंकर भोले नाथ या महादेव जिस भी नाम से पुकारो देवों के देव महादेव आपकी पुकार सुनते हैं | संपूर्ण तंत्र शिव- पार्वती संवाद द्वारा निकला है | शिव में परस्पर विरोधी भावों का सामंजस्य देखने को मिलता है। शिव के मस्तक पर एक ओर चंद्र है, तो दूसरी ओर महाविषधर सर्प भी उनके गले का हार है। वे अर्धनारीश्वर होते हुए भी कामजित हैं। गृहस्थ होते हुए भी श्मशानवासी, वीतरागी हैं। सौम्य, आशुतोष होते हुए भी भयंकर रुद्र हैं। शिव परिवार भी इससे अछूता नहीं हैं। उनके परिवार में भूत-प्रेत, नंदी, सिंह, सर्प, मयूर व मूषक सभी का समभाव देखने को मिलता है। वे स्वयं द्वंद्वों से रहित सह-अस्तित्व के महान विचार का परिचायक हैं। ऐसे महाकाल शिव की आराधना का महामास है सावन | सावन में शिव की आराधना करने से पहले शिव को जानना परमावश्यक है |
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नाम - शिव के सहस्त्रनाम है |
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प्रचलित नाम शिव-शंकर-भोलेनाथ-महादेव-आशुतोष -भोले भंडारी है |
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सृष्टी के संहारकर्ता शिव ही हैं |
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शिव का आवास - कैलाश पर्वत |
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शिव की पत्नी - माता सती / पार्वती |
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शिव के पुत्र - कार्तिकेय व् गणेश |
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शिव का वाहन - नंदी |
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शिव के अस्त्र-शस्त्र - त्रिशूल व् डमरू |
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शिव के पर्व - महाशिवरात्रि |
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शिव का मास- श्रावण (सावन) |
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शिव की तिथि - त्रियोदशी |
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शिव का वार - सभी वार पर शिव की उपासना का फल है परन्तु सोमवार को शिव का वार कहा जाता है |
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शिव का पसंदीदा व्यंजन - भंग से निर्मित ठंडाई |
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शिव को पसंद - रुद्राक्ष, बेल पत्र , धतुरा, शमी पत्र, नील कमल, दुर्बा, इत्र, भस्म |
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शिव को प्रसन्न करने के मंत्र - महा मृतुन्जय मंत्र - ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। सः जूं ह्रौं ॐ ॥
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शिव का महात्म - शिव के सम्बन्ध में ऐसे तो हर पुराण में दिया गया है, परन्तु शिव पुराण व् लिंग पुराण में विस्तार से दिया है |