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- 22 September 2017
हिन्दू धर्म शास्त्रों में जहां सभी देवी-देवताओं को अलग अलग वस्त्राभूषणों से सुसज्जित बताया गया है वहीं भगवान शिव को सिर्फ मृगचर्म लपेटे और भस्म लगाए बताया गया है। भस्म शिव का प्रमुख वस्त्र भी है क्योंकि शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता है। संतों का भी एक मात्र वस्त्र भस्म ही है। अघोरी, नागा-सन्यासी और अन्य साधु भी अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं। भगवान शिव अद्भुत व अत्यंत रहस्यमय भी हैं | इनके अतिरिक्त संसार में कुछ भी सत्य नहीं है। उनका रहन-सहन, आवास, गण, भोग आदि अन्य सभी देवताओं से भिन्न है |
वैज्ञानिक कारण-
भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। इसका मुख्य गुण है कि इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। रोम कूपों से ढक जाने से शरीर की गर्मी बाहर नहीं निकलती है और शीत का अहसास नहीं होता और गर्मी में शरीर की नमी बाहर नहीं निकलती इस से गर्मी से रक्षा होती है | भस्म त्वचा संबंधी रोगों में भी दवा का काम करती है।
दार्शनिक कारण
जिस शरीर की हम इतनी सेवा करते हैं, उस शरीर पर हम गर्व करते हैं और उसकी सुरक्षा का इतना इंतजाम करते हैं अंत में वह भस्म बन जाता है | शरीर क्षणभंगुर है और आत्मा अमर है | शरीर की गति सिर्फ प्राण तक ही सीमित है परन्तु आत्मा अनंत है |
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