हमारी शक्ति बढायें
- 08 March 2015
एक बार एक किसान की घड़ी खो जाती है, वैसे तो वो घड़ी इतनी कीमती नहीं थी परन्तु किसान को वो अत्यंत प्रिय थी और वो उसे किसी भी तरह वापस पाना चाहता था | उसने घड़ी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी आँगन में ढूंढता तो कभी अनाज के ढेर में, परन्तु तमाम कोशिशो के बाद भी घड़ी नहीं मिली| तब उसने अपने बच्चो को बुलाया और कहा जो मेरी घड़ी ढूंढेगा उसको मैं इनाम दूंगा | फिर क्या था सभी बच्चे जोर शोर से इस काम में लग गए | वो हर जगह तलाश करने लगे, ऊपर , नीचे, अंदर, बाहर पर वो घड़ी नहीं मिली | अब लगभग सभी बच्चे हार मान चुके थे और किसान को भी लगा के घड़ी नहीं मिलेगी, तभी एक लड़का आया और बोला काका मुझे एक मौका और दीजिये, पर इस बार मैं ये काम अकेले करना चाहूंगा | किसान का क्या जा रहा था उसे घड़ी चाहिए थी उसने तुरंत हाँ कर दी| लड़का एक एक करके घर के कमरों में जाने लगा और जब वो किसान के शयन के कमरे से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी | किसान घड़ी देखकर खुश हो गया और अचरज से पूछा, बेटा जब हम सब असफल हो गए तो तुमने कैसे ढूंढ निकाला ? लड़का बोला, काका मैंने कुछ नहीं किया बस कमरे में जाकर चुप चाप बैठ गया, और घड़ी कि आवाज़ पर ध्यान लगाया और मुझे उसकी टिक - टिक सुनाई दे गई, जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाज़ा लगा लिया और अलमारी के पीछे गिरी आपकी घड़ी ढूंढ ली | जिस तरह कमरे कि शांति घड़ी ढूंढ़ने में मददगार साबित हुई , उसी प्रकार मन की शांति ज़रूरी बातें समझने में मददगार साबित होती है | हर दिन हमें अपना थोड़ा सा वक़्त निकलना होगा | ताकि हम शांति से बैठ कर खुद से बातें कर सके और अपने भीतर कि आवाज़ सुन सके, तभी हम खुद को ढूंढ पायेगे |